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टीपू सुल्तान ने करवाई थी ब्राह्मणों की हत्या और तोड़े थे कई मंदिर !

लखनऊ|

                                            |टीपू सुल्तान दक्षिण भारत का औरंगजेब था।

हाल ही में कर्नाटक सरकार द्वारा मनायी गयी टीपू सुल्तान की जन्मशती एक बार फिर से विवादों के घेरे में है। अल्पसंख्यक समुदाय का तुष्टिकरण करने के लिए टीपू सुलतान जयंती मनाने के कर्नाटक सरकार के फैसले की आलोचना करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखपत्र ‘पांचजन्य’ के एक लेख में टीपू को दक्षिण का ‘औरंगजेब’ बताया गया है, जिसने जबरन लाखों लोगों का धर्मांतरण कराया और मन्दिर तोड़े । प्रकाशित हुए इस लेख में कहा गया है कि टीपू सुल्तान दक्षिण भारत का औरंगजेब था।

कर्नाटक में मुस्लिम ध्रुवीकरण के लिए टीपू जयंती मनायी गयी। कुछ इतिहासकारों ने भ्रामक तौर पर टीपू की सहिष्णु होने की तस्वीर पेश की है, लेकिन हकीकत इसके ठीक विपरीत है।

आपको बता दें  कि औरंगजेब भी हिन्दुओं और खासकर ब्राह्मणों की हत्याओं व उनके मठ मन्दिर उजाड़ने के लिए बदनाम था, कई मौकों पर बताया जाता है कि औरंगजेब की तरह टीपू ने भी ब्राह्मणों पर अत्याचार किये थे, पाँचजन्य में छपे लेख के अनुसार टीपू सुल्तान हकीकत में मदान्ध था, उसने न केवल मंदिरों और चर्चों को तोड़ा बल्कि जबरन धर्मांतरण भी कराए। लेख के मुताबिक टीपू की जन्मतिथि 20 नवंबर है लेकिन कर्नाटक सरकार ने तुष्टीकरण की राजनीति के तहत छोटी दिवाली के दिन 10 नवंबर को टीपू की जयंती मनायी। दरअसल 10 नवंबर के दिन टीपू ने 800 मेलकोट आयंगर ब्राह्मणों को फांसी पर लटकाया था।

मुस्लिम मतों का ध्रुवीकरण करना एक मात्र उद्देश्य

लेख में कहा गया है, ‘टीपू विवादास्पद शख्सियत रहे हैं। टीपू जयंती मनाने का एकमात्र उद्देश्य मुस्लिम मतों का ध्रुवीकरण करना था। इसने उनसे सहानुभूति रखने वालों और उनका विरोध करने वाले के बीच गर्मागरम बहस को जन्म दिया है।’ लेख के अनुसार इसाई नेता भी टीपू की असहिष्णुता का जिक्र करते हैं, उनके मुताबिक 1784 में उसने मैंगलोर के मिलेग्रेस चर्च को तहस नहस कर दिया था। टीपू ने अंग्रेजों के लिए जासूसी के शक में 60 हजार से ज्यादा कैथोलिकों को बंदी बनाया था और मैसूर तक पैदल चलने के लिए मजबूर कर दिया था, जिसमें चार हजार कैथोलिकों की मौत हो गयी थी।

पाँचजन्य के इस लेख में दक्षिण भारत के एक प्रमुख संत की सलाह का हवाला देते हुए सुझाव दिया गया है कि सरकार को टीपू सुलतान जैसी विवादित हस्तियों की जयंती से दूर रहना चाहिए और इन जैसों के बजाय मौलाना अबुल कलाम आजाद और सर मिर्जा इस्माइल जैसी मुस्लिम शख्सियतों की जयंती मनानी चाहिए। ज्ञात हो कि सर मिर्जा इस्माइल मैसूर रियासत और बाद में जयपुर और हैदराबाद के दीवान थे। पांचजन्य के मुताबिक टीपू ने कहा था कि वो सभी काफिरों को मुसलमान बना देगा। उसने मैसूर को मुसलमान राज्य घोषित कर दिया था।

लेख में ये भी बताया गया है कि टीपू सुल्तान ने तमिलनाडु और केरल पर कई बार हमला किया था और हमले के दौरान पकड़े गए लोगों का जबरन धर्मांतरण कराया। 19 जनवरी 1790 को बुरदुज जमाउन खान नाम के एक शख्स को पत्र लिखा और कहा कि क्या आपको पता है कि हाल ही में मैंने मलाबार पर जीत दर्ज की है, और चार लाख से ज्यादा हिंदुओं को जबरन इस्लाम में धर्मांतरण कराया है। 19वीं सदी में ब्रिटिश अधिकारी लोगान मे ‘मलाबार मैनुअल’ में लिखा है कि कैसे 30 हजार सैनिकों के साथ उसने कालीकट में तबाही मचायी थी। 1788 में टीपू की सेना ने कूर्ग पर आक्रमण किया और इलाके के सभी गांवों को जला दिया।

लेख में बताया गया है कि टीपू धर्मनिरपेक्ष नहीं था बल्कि एक असहिष्णु और निरंकुश शासक था। वह दक्षिण का औरंगजेब था, जिसने लाखों लोगों का धर्मांतरण कराया और बड़ी संख्या में मंदिरों को गिराया।’ ‘फ्रीडम स्ट्रगल इन केरल’ में भी पांच लाख हिंदुओं को मुसलमान बनाने का जिक्र है। टीपू ने कहा था कि यदि सारी दुनिया भी एक साथ हो जाए उस हालात में भी वो हिंदू मंदिरों को तोड़ने से नहीं रुकेगा। टीपू सुल्तान की शिवाजी जैसा दर्जा के गिरीश कर्नाड के बयान पर निशाना साधते हुए कहा गया कि उनको इतिहास के बारे में जानकारी नहीं है। शिवाजी ने न तो कभी कोई मस्जिद तोड़ी न ही किसी का धर्मांतरण कराया था। ऐसे में टीपू और शिवाजी में तुलना नहीं की जा सकती है।