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इस बैंक में पैसे नहीं बल्कि जमा होती हैं रोटियां और मटन-चिकन, वजह चौंकाने वाली

औरंगाबादः बैंक तो पैसे जमा करने के लिए ही बनायी जाती है। लेकिन अजंता एलोरा गुफाओं के लिए मशहूर महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर में एक अनोखी और महत्वाकांक्षी योजना ‘रोटी बैंक’ की शुरुआत हुई। इस योजना के तहत कोई भी व्यक्ति गरीब, वृद्ध, बीमार लोगों के लिए रोटियों को जमा कर सकता है और जरूरतमंद लोग वहां से रोटी या अन्य शाकाहार और मांसाहार व्यंजन ले सकते हैं।
रोटी बैंक की योजना की शुरुआत भारत में सर्वप्रथम बुंदेलखंड में हुई थी। इसके बाद अब इसे पांच दिसंबर को महाराष्ट्र के औरंगाबाद में शुरू किया गया है।
इस योजना की शुरुआत हारून मुख्ती इस्लामिक सेंटर ( एचएमआईसी) के संस्थापक यूसुफ मुकाती ने की है।
मुकाती ने कहा, “मैं कई सालों से ऐसे बहुत से गरीबों को देख रहा हूं। खासकर मुस्लिम को जो दिन में एक बार भोजन का खर्च नहीं उठा पाते हैं, क्योंकि यह सम्मानजनक जिंदगी जीना चाहते हैं, इसलिए यह भीख भी नहीं मांग सकते।”
मुकाती बताते हैं कि कई गरीबों और वंचित परिवारों को लक्षित करते हुए इस योजना की शुरुआत हुई। इसके बाद उन्होंने अपने परिवार के लोगों से बातचीत कर पांच दिसंबर को जनता के बीच योजना शुरू कर दी। उस दिन इन्होंने मामूली आंकड़े के तहत करीब 50 रोटियां जमा कीं।
मुकाती ने हालांकि इस योजना के लिए भीख मांगकर खाने का जुगाड़ करने वाले गरीबों को शामिल नहीं किया है।
मुकाती ने कहा, “रोटी बैंक में लोगों को सदस्यता के लिए एक फार्म भरना होता है। हम उन्हें एक विशेष कोड संख्या देते हैं। इसके बाद हम उनसे आग्रह करते हैं कि वह कम से कम दो ताजी रोटियां किसी भी शाकाहारी या मांसाहारी सब्जी के साथ हम तक पहुंचा दें।”
“यह रोटी बैंक सुबह 11 बजे से रात 11 बजे तक खुला रहता है। कोई भी व्यक्ति दिन में एक या अधिक बार रोटियां जमा कर सकता है। इसके बाद गरीब लोग यहां आकर किसी भी समय भोजन प्राप्त कर सकते हैं।”