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मुर्मू के समर्थन और विरोध के सवाल पर यूपीए में ही फूट नहीं पड़ी है, बल्कि सपा और कांग्रेस जैसे कई दल भी फूट के शिकार हुए

राष्ट्रपति चुनाव के जरिए विपक्ष की कोशिश एकजुट होने की थी। हालांकि इस चुनाव में राजग की ओर से द्रौपदी मुर्मू के रूप में लगाए गए आदिवासी और महिला दांव ने विपक्ष की एकता तार-तार कर दी। विपक्ष में पड़ी फूट के कारण मुर्मू बड़ी जीत की ओर बढ़ रही हैं। मुर्मू की उम्मीदवारी से जहां यूपी में फूट पड़ गई, वहीं दूसरे विपक्षी दलों ने भी द्रोपदी मुर्मू का साथ देने की घोषणा की है। मुर्मू के समर्थन और विरोध के सवाल पर यूपीए में ही फूट नहीं पड़ी है, बल्कि सपा और कांग्रेस जैसे कई दल भी फूट के शिकार हुए हैं। खासतौर पर विपक्षी उम्मीदवार के तौर पर यशवंत सिन्हा के नाम का प्रस्ताव रखने वाली टीएमसी भी ऊहापोह की स्थिति में है। अब तक कई गैर राजग दलों ने मुर्मू को समर्थन देने की घोषणा की है।

गौरतलब है कि मुर्मू को अब तक गैर राजग दलों में बीजेडी, अकाली दल, वाईएसआर कांग्रेस, टीडीपी, बसपा, झामुमो, जदएस, सुभासपा और शिवसेना ने समर्थन देने की घोषणा की है। इनमें झामुमो, शिवसेना, जदएस और टीडीपी ने पहले विपक्षी दलों की बैठक में यशवंत के नाम पर सहमति दी थी। हालांकि, राजग के आदिवासी कार्ड के बाद ये दल मुर्मू के साथ आने पर मजबूर हो गए। वहीं, राष्ट्रपति चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी की शनिवार को बैठक होगी। विपक्ष के सात दलों के समर्थन और शिवसेना में हुई टूट के बाद द्रौपदी मुर्मू बड़ी जीत की ओर बढ़ रही हैं। इन दलों के साथ आने से उनके समर्थक वोटों की संख्या 6.5 लाख के करीब पहुंच रही है। गौरतलब है कि राजग के पास 5,26,420 वोट हैं जो उम्मीदवार को जिताने के लिए 13000 कम थे। हालांकि, बीजेडी (करीब 25,000), वाईएसआर कांग्रेस (करीब 43,000 वोट) के साथ आने और शिवसेना में बड़ी टूट के साथ ही भाजपा की समस्या दूर हो गई। हालांकि, मुर्मू अब भी बीते चुनाव में राजग उम्मीदवार रामनाथ कोविंद की तुलना में कम वोट हासिल करती दिख रही हैं। कोविंद को बीते चुनाव में करीब 7.2 लाख वोट हासिल हुए थे।