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इस देश के राष्ट्रपति का अजीबोगरीब दावा, वोडका को बताया कोरोना की दवा, कहां कोई नही मरेगा

वुहान से शुरू हुए कोरोना वायरस ने लगभग पूरी दुनिया में पांव पसार लिये हैं। इस वासरस से दुनिया 19 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हुए हैं और 1.20 लाख के करीब लोगों की मौत हो गई है। वहीं भय के इस माहौल में कई ऐसी जानकारियां सोशल मीडिया पर चल रही हैं, जिनमें दावा किया जा रहा है कि इनके इस्तेमाल से कोरोना वायरस के असर को कम किया जा सकता है और इसको फैलने से रोकने के लिए और इसके इलाज के लिए कई तरह की बातें सुनने को मिल रही हैं।

वहीं अब वोडका को कोरोना की दवा बता चुके बेलारूस के राष्ट्रपति ने एक और अजीबोगरीब दावा किया है। अलेक्जेंडर लूकाशेन्को ने कहा है कि उनके देश में कोरोना से किसी की मौत नहीं हुई है और ना ही आगे कोई मरेगा। हालांकि, बेलारूस में आधिकारिक तौर से कोरोना वायरस से हुई मौतों का आंकड़ा दो दर्जन से अधिक है। इतना ही नहीं, कोरोना वायरस को लेकर अलेक्जेंडर ने कहा है कि वोडका पीने, ट्रैक्टर चलाने, बकरियों के साथ खेलने और साउना से यह बीमारी ठीक हो जाती है।

ब्रिटिश मीडिया में अलेक्जेंडर को तानाशाह कहा जाता है। अलेक्जेंडर पर यह भी आरोप लग रहे हैं कि वे डॉक्टर और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की चेतावनी को नजरअंदाज कर रहे हैं और वायरस को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। इससे बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो सकती है।

राष्ट्रपति अलेक्जेंडर ने लॉकडाउन लगाने से इनकार कर दिया है और देश के 95 लाख लोगों को संबोधित करते हुए कहा- ‘हमने उन दवाओं की खोज कर ली है जिससे लोग कोरोना से ठीक हो जाते हैं।’

65 साल के अलेक्जेंडर 25 सालों से अधिक समय से देश की सत्ता पर काबिज हैं. हालांकि, उन्होंने विस्तार से नहीं बताया कि किन दवाओं से वे कोरोना बीमारी को ठीक करने की बात कर रहे हैं. लेकिन उन्होंने कहा कि लोग डरे हुए हैं। इसलिए लोगों से कहा कि देश में कोरोना से किसी की मौत नहीं हुई।

कोरोना वायरस से पीड़ित लोगों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति अलेक्जेंडर ने कहा- ‘चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। हमारे देश में कोरोना वायरस से किसी की मौत नहीं हुई है. मैं इसे सार्वजनिक तौर से कह रहा हूं।’ राष्ट्रपति ने मौत के आंकड़ों के संबंध में कहा कि उन लोगों की मौत किसी अन्य बीमारी से हुई है जिनसे वे पहले से जूझ रहे थे। राष्ट्रपति अलेक्जेंडर ने यहां तक दावा किया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भी उनसे ‘सहमत’ है।