मुकाबला, मोहब्बत और मुकाम.. इन्हीं तीन शब्दों के आसपास सिमटी है, एक छोटे शहर के मुक्काबाज की मुक्केबाज के पायदान पर पहुंचने की कहानी। जो बताती है कि खेल में कैसे ‘खेल’ होता है, लेकिन जब सपने साफ और इरादे मजबूत हों, वह कैसे पूरे होते हैं। ‘अमर उजाला संवाद ...
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