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पेंशन के मामलों का शीघ्र निस्तारण त्वरित न्याय के मकसद को पूरा करता है : विजय पाण्डेय

लखनऊ दिनांक:05.10.2021

प्रेस-नोट
पीस और फील्ड सर्विस के आधार पर तनाव और दबाव को विभाजित करके दिव्यांगता पेंशन से इंकार नहीं कर सकती सेना

लखनऊ, प्रयागराज निवासी भूतपूर्व नायक संतोष कुमार सिंह को सेना कोर्ट लखनऊ से दस माह के अंदर मिली दिव्यांगता पेंशन, बताते चले कि याची 2002 में सेना की राजपूत रेजिमेंट में भर्ती हुआ, पन्द्रह वर्ष की नौकरी के बाद उसे ह्रदय की बीमारी के कारण सेना द्वारा यह कहकर डिस्चार्ज कर दिया गया कि, उसे यह बीमारी पीस स्टेशन में हुई इसलिए, सेना का दबाव और तनाव इसके लिए उत्तरदायी नहीं हो सकता जबकि; याची के हार्ट में स्टंट तक डाला जा चुका था, भारत सरकार और सेना द्वारा याची की अपील को दरकिनार कर दिया गया l


उसके बाद इसी साल 2021 में वादी ने अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय के माध्यम से मुकदमा संख्या 367/2021 दायर किया, जिसकी त्वरित सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति उमेश चन्द्र श्रीवास्तव एवं वाईस एडमिरल अभय रघुनाथ कार्वे की खण्ड-पीठ ने फैसला सुनाया कि पीस स्टेशन में दबाव और तनाव नहीं होता, कहना न्यायसंगत नहीं है क्योंकि तनाव और दबाव हर स्थान पर होता है और सेना साधारण परिस्थिति से अलग परिस्थितियों में कार्य करती है, इसलिए यह दबाव स्वाभाविक है चाहे वह पीस स्टेशन हो या फील्ड, ऐसी परिस्थिति में यह कहना तर्कसंगत नहीं है कि बीमारी का संबध सेना से नहीं है, जबकि बीमारी पन्द्रह साल की सैन्य सेवा के बाद हुयी है l
खण्ड-पीठ ने फैसला सुनाते हुए सरकार द्वारा लिए गए सभी निर्णयों को निरस्त करते हुए आदेशित किया कि डिस्चार्ज की तारीख से पचास प्रतिशत आजीवन दिव्यांगता पेंशन चार महीने के अन्दर दी जाए यदि सरकार ऐसा नहीं करती तो आठ प्रतिशत व्याज भी देना होगा l
(विजय कुमार पाण्डेय) एडवोकेट