Breaking News

आवश्यक सूचना: प्रदेश जागरण के सभी निर्गत परिचय पत्र निरस्त किये जा चुके हैं | अगस्त 2022 के बाद के मिलने या दिखने वाले परिचय पत्र फर्जी माने जाएंगे |

सोनम हत्याकांड : आरोपित कांस्टेबल अतीक को उम्र कैद, एक लाख का जुर्माना

 

लखनऊ। प्रदेश के लखीमपुर खीरी जनपद में वर्ष 2011 में हुए चर्चित सोनम हत्याकांड के मामले में शुक्रवार को आरोपित सीओ इनायत उल्ला खां और सिपाही अतीक अहमद को सजा सुनाई गई। मामले में यहां सीबीआई के विशेष न्यायाधीश प्रदीप सिंह ने कांस्टेबल अतीक अहमद को उम्र कैद की सजा और एक लाख रुपये के जुर्माना की सजा सुनाई। वहीं तत्कालीन सीओ इनायत उल्लाह को पांच साल की सजा सुनाते हुए 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया।

न्यायालय ने तत्कालीन सीओ इनायत उल्ला खां को साक्ष्य मिटाने और सिपाही अतीक अहमद को हत्या व सबूत मिटाने का दोषी पाते हुए इन्हे 24 फरवरी को दोषी करार दिया था। वहीं दो अन्य आरोपित सिपाही शिवकुमार और उमाशंकर को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया था।

मामले में 10 जून 2011 को वादिनी तरन्नुम ने एफआइआर दर्ज कराई थी। इसमें उसने आरोप लगाया कि उनकी बेटी सोनम भैंस चराने गई थी। भैंस चराते हुए थाने के अंदर चली गई थी। काफी समय बाद भी जब उनकी बेटी वापस नहीं लौटी तो वह उसकी तलाश में थाना परिसर में गई तो देखा कि वहां उनकी बेटी का शव पेड़ की डाल से दुपट्टे के सहारे लटक रहा था। सोनम के शरीर पर कई जगह चोट के निशान थे। हत्या का आरोप लगाकर एफआइआर दर्ज कराई गई थी। मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी। सीबीआई ने मामले में गहराई से विभिन्न बिन्दुओं पर पड़ताल की और घटना के एक वर्ष बाद कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की। इस कांड को आत्महत्या का रूप देने वाली पोस्टमार्टम रिपोर्ट बनाने वाले तीन डॉक्टरों को 2018 में सीजेएम कोर्ट सजा सुना चुका है।

यह मामला उत्तर प्रदेश की सियासत में काफी सुर्खियों में रहा था। मामले की शुरुआत में पुलिस कर्मियों पर ही थाने में सोनम की दुष्कर्म के बाद हत्या के आरोप लगे। इसके बाद निघासन के तत्कालीन समाजवादी पार्टी विधायक केजी पटेल व श्रीनगर के समाजवादी पार्टी विधायक डॉ. आरए उस्मानी ने धरना प्रदर्शन तक किया। बाद में तत्कालीन निघासन थानाध्यक्ष समेत 11 पुलिस कर्मियों को निलंबित कर दिया गया।

हाई प्रोफाइल मामले में राहुल गांधी, राजनाथ सिंह, आजम खां व उमा भारती समेत तमाम बड़े नेताओं ने पीड़ित परिवार से मुलाकात की थी। इसके बाद शासन ने मामले का गंभीरता से संज्ञान लेकर तत्कालीन कमिश्नर प्रशांत त्रिवेदी व आइजी सुबेश कुमार को खीरी भेजा और साथ ही लखनऊ से आए चार डॉक्टरों के पैनल ने सोनम के शव का दोबारा पोस्टमार्टम किया। इसमें उसकी गला दबाकर हत्या करने की पुष्टि हुई। दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई। इसके बाद पहली बार सोनम के शव का पोस्टमार्टम करने वाले तीनों डॉक्टरों को निलंबित किया गया। उनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हुआ।

दरअसल पहले जिला अस्पताल के डॉ. एसपी सिंह, डॉ. एके शर्मा व एके अग्रवाल के पैनल ने सोनम के शव का पोस्टमार्टम किया। इसमें सोनम की मौत फांसी पर लटकने से होना बताया गया और दुष्कर्म की बात भी पुष्टि नहीं हुई।

दोषियों को सजा दिलाने के लिए शासन ने घटना की जांच सीबीसीआईडी को सौंपी और तत्कालीन एसपी डीके राय को भी निलम्बित कर दिया। सीबीसीआईडी ने हत्याकांड में तत्कालीन सीओ के गनर अतीक अहमद को हत्या का आरोपित बनाते हुए घटना का राजफाश किया था। फरवरी 2012 में सीबीआई ने मामले की जांच शुरू की और अतीक अहमद के खिलाफ ही कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की।