जब हम किसी मीटिंग या शांत स्थानों पर होते हैं और तब लगातार छींक आती है। ऐसे में हम तो परेशान होते हीं हैं साथ ही आस पास के लोगों को भी काफी असुविधा होती है। इस असुविधा से बचने के लिए हम छींक को जबर्दस्ती रोकने की कोशिश करते हैं।
छींक के साथ यही चीज सबसे खतरनाक होती है। छींक को जबर्दस्ती रोकने से हमारे कानों, दिमाग, गर्दन और डायफ्राम पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
छींक करती है यह काम
जानकारी के अनुसार हमारी नाक से छींक तकरीबन 150 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से निकलती है। ऐसे में इसे रोकने का दबाव आपके कानों पर पड़ता है। इससे आपके सुनने की शक्ति जा सकती है। छींक शरीर को बीमार बनाने वाले बैक्टीरिया को बाहर करने का भी काम करती है। ऐसे में आप छींक को रोककर बैक्टीरिया को अपने अंदर संरक्षण देते हैं।
इस तरह होता है नुकसान
इसी के साथ एक बर्तन में पानी उबालें और उसमें पिपरमिंट तेल की 5 बूंदें मिला लें। एक तौलिए से सर ढककर भाप लें। छींक जल्द ही बंद हो जाएगी। छींक शरीर को बीमार बनाने वाले बैक्टीरिया को बाहर करने का भी काम करती है। ऐसे में आप छींक को रोककर बैक्टीरिया को अपने अंदर संरक्षण देते हैं। छींक रोकने का दबाव आपके दिमाग की नसों के लिए घातक होता है। कई मामलों में छींक रोकने से दिमाग की नसों के फटने की समस्या भी सामने आई है।