गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश में दूध उत्पादन क्रांति लाने के लिए राज्य सरकार बहुत जल्द गोवंश में केवल मादा गर्भाधान करने के लिए विदेश से आयात सेक्सीड तकनीक का प्रयोग करने जा रही है। इस तकनीक के तहत गौवंश में नर के बजाय मादा गोवंश ही पैदा होगा। इसका पायलट प्रोजेक्ट हापुड़ जनपद के बाबूगढ़ छावनी स्थित पशु पालन एवं ब्रीड रिसर्च सेंटर में दो महीने में शुरू हो जाएगा।
मुख्य पशु चिकित्सा एवं पालन अधिकारी डॉ. बिजेंद्र त्यागी ने मंगलवार को बताया कि यह तकनीक पहले ब्राजील व अमेरिका में थी। अब यह तकनीक भारत में भी आ गई है। इस तकनीक से गोवंश में नर बच्चे न के बराबर पैदा होंगे और 97 से 98 प्रतिशत मादा ही पैदा होंगी। चूंकि आधुनिक खेती अब ट्रैक्टर के माध्यम से ही होती है उसमें बैल और बछड़ों का कोई प्रयोग नहीं होता। इसलिए प्रदेश शासन ने इस तकनीक को राज्य में लाने का निर्णय किया है। इस तकनीक के बाद प्रदेश में जहां दूध उत्पादन में बढ़ोतरी होगी, वहीं दूध आपूर्ति बढ़ने के के चलते मूल्यों में कमी आएगी।
खास बात यह है कि इस तकनीक के अपनाने के बाद सड़कों पर घूमने वाले आवारा सांडों की संख्या पर अंकुश लग जाएगा और उससे आये दिन होने वाली दुर्घटनाएं भी रुकेंगी। उन्होंने बताया कि इस तकनीक का सबसे पहले प्रयोग उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में एक प्रगतिशील गोपालक ने किया था। उस गाय से पैदा हुई पहली बछिया का नाम अर्शी रखा गया है।