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सरोजिनी नायडू ऐसे बनीं भारत कोकिला

भारत देश है हमारा बहुत प्यारा,
सारे विश्व में है यह सबसे न्यारा,
अलग-अलग हैं यहां सभी के रूप रंग,
पर सुर सब एक ही गाते,
झंडा ऊंचा रहे हमारा,

 

भारत कोकिला के नाम से मशहूर सरोजनी नायुडू जिनकी कविताएं आज भी लाखों लोगों के दिलों पर राज़ करती हैं, इनकी रचनाओं में बच्चों की कविता से लेकर जीवन के अलग-अलग रंग और मृत्यु सभी तरह की कविताएँ शामिल हैं. लेकिन यह बच्चों के कविताओं के लिए जानी जाती थी इसी वजह से इनको भारत की बुलबुल भी कहा जाता था…

बचपन से ही कविताओं में थी रुचि

13 फरवरी 1879 को भारत के हैदराबाद में जन्मी सरोजिनी नायडू शुरू से ही एक होनहार छात्रा थीं. मात्र 12 वर्ष की उम्र में ही मैट्रिक की परीक्षा पास कर उन्होंने मद्रास प्रेसीडेसी में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया था. उनके पिता की चाहत थी की बेटी वैज्ञानिक बने लेकिन सरोजिनी जी की रूचि कविताओं में थी , बचपन में ही उन्होंने 1300 लाइन की एक कविता लिख डाली, जिससे हैदराबाद के निजाम बहुत प्रभावित हुए और उन्हेंने सरोजिनी नायडू को इंग्लैंड जाकर पढ़ाई करने की छात्रवृत्ति प्रदान की

भारत के तत्कालीन विषयों को माना कविता का आधार

16 बरस की उम्र में सरोजिनी जी ने इंग्लैंड के किंग्स कालेज में दाखिला लिया, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान उनकी मुलाक़ात अंग्रेज़ी के प्रसिद्ध कवि आर्थर साइमन और गौसे से हुई. जिन्होंने भारत के विषयों को आधार मानकर कविता लिखने की सलाह दी सरोजनी नायडू को दी।

19 वर्ष की उम्र में किया अंतर्जातीय विवाह

आपको बता दे कि इंग्लैंड में पढाई के दौरान ही उनकी मुलाक़ात गोविन्द राजु नायडू से हुई थी, जिनके साथ उन्होंने 19 वर्ष की उम्र में अंतरजातीय प्रेम विवाह कर लिया जो की उस समय काफी चर्चा का विषय बना

गोपाल कृष्ण गोखले से मुलाकात के बाद जीवन में आया बदलाव

सन 1905 में सरोजिनी जी की कविता बुलबुले प्रकाशित हुयी, उस दौरान इनकी कविता से लोग काफी प्रभावित हुए किन्तु सरोजिनी जी के जीवन में बदलाव गोपाल कृष्ण गोखले जी से मुलाकात के बाद आया क्यूंकि गोखले जी ने कलम की ताकत को आजादी की लड़ाई में इस्तेमाल करने की नसीहत दी, जिसको आधार मानते हुए सरोजिनी जी अपनी कविताओं के माध्यम से लोगों के अन्दर देश की आजादी का जूनून भरने में लग गई. जिसके चलते क्रान्तिकारी महिला के नाम से सरोजनी नायुडू काफी मशहूर हुई


सन 1925 में सरोजिनी नायडू जी को इंडियन नेशनल कांग्रेस की प्रथम महिला अध्यक्ष के तौर पर चुना गया जिस दौरान उन्होंने पूरी मेहनत के साथ कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षता की कमान संभाली।

महात्मा गांधी जी बने प्रेरणा स्रोत

सन 1916 से ही उन्होंने महात्मा गाँधी जी को अपनी प्रेरणा मानकर अपनी पूरी ताकत देश की आजादी के लिए लगा दी। आज़ादी की लड़ाई को आगे बढ़ाते हुए सविनय अवज्ञा आन्दोलन के दौरान वो गांधी जी के साथ जेल भी गयी और 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान वो 21 महीनों तक जेल में रही और डट कर देश को आज़ादी दिलाने के लिए संघर्ष करती हुई अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई

आज़ाद भारत की प्रथम महिला राज्यपाल के तौर पर हुई नियुक्त

सन 1947 में देश की आज़ादी के बाद सरोजनी नायडू भारत के किसी भी राज्य में और उत्तर प्रदेश की पहली महिला राज्यपाल के तौर पर नियुक्त हुई किन्तु 2 मार्च 1949 में कालचक्र को ये मंजूर नही हुआ और ऑफिस में काम करते समय सरोजनी नायडू जी का हार्ट अटैक के चलते उनका निधन हो गया. जिसके बाद सन 1964 में भारत सरकार ने उनके सम्मान में 15 पैसे का डाक टिकट भी जारी किया

मैं सोच भी बदलता हूं,
में नजरिया भी बदल ता हूं,

मिले ना मंजिल मुझे,
तो में उसे पाने का जरिया भी बदलता हूं,

बदलता नहीं अगर कु,
तो मैं लक्ष्य नहीं बदलता हूं,
उसे पाने का पक्ष नहीं बदलता हूं|

Hadder –

भारत कोकिला – सरोजिनी नायडू

13 फरवरी 1879 को हैदराबाद में हुआ जन्म

16 बरस की उम्र में इंग्लैंड के किंग्स कालेज में लिया दाखिला

देश की आज़ादी में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका

महिला क्रांतिकारी के नाम से हुई मशहूर

भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान 21 महीनों तक जेल में रही

प्रथम महिला राज्यपाल के तौर पर हुई नियुक्त

2 मार्च 1949 को हार्ट अटैक के चलते हुआ निधन