लोकसभा चुनाव की जंग अब करीब है ऐसे में सभी राजनीतिक पार्टियां अपने-अपने गढ़ में सक्रिय हो गई हैं। लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा प्रभाव डालने वाले राज्य उत्तर प्रदेश में कुछ और खिचड़ी पक रही है। किसी जमाने में एक दूसरे के कट्टर विरोधी रहे समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने रविवार को गठबंधन कर लिया।
इससे कांग्रेस को बड़ा झटका लगा, अभी ऐसा माना जा रहा था कि ये दोनों ही पर्टियां कांग्रेस के साथ महागठबंधन में आने वाली थीं। राजनीति में ऐसा होना कोई नई बात नहीं है, अपने फायदे के लिए नेता और पार्टी किसी समय पलट सकते हैं। हालांकि SP-BSP गठबंधन के बाद से अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी को अपने ही विधायकों की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है।
दरअसल, सपा के कुछ विधायकों ने गठबंधन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। मुलायम सिंह यादव के समधी और सपा के विधायक हरिओम यादव से साफ कहा गया कि गठबंधन तभी तक चलेगा जब तक पार्टी अध्याक्ष अखिलेश यादव बसपा अध्यक्ष मायावती के सामने घुटने टेकते रहेंगे।
हरिओम यादव ने रविवार को दिए अपने एक बयान में कहा कि यह गठबंधन यूपी में काम नहीं करेगा। मायावती के बारे में सभी को पता है, वह अपने आगे किसी और की नहीं सुनती हैं। इसलिए यह गठबंधन तभी तक चलेगा जब तक अखिलेश यादव मायावती की हां में हां मिलाते रहेंगे।
मुझे नहीं लगता यह गठबंधन कामयाब रहेगा। इतना ही नहीं हरिओम ने आगे कहा कि, फीरोजाबाद लोकसभा सीट से शिवपाल सिंह यादव चुनाव लड़ रहे हैं तो वहां से तो गठबंधन का जीतना ना मुमकिन है। बता दें कि, हरिओम यादव खुद फिरोजाबाद के सिरसागंज से विधायक हैं और मुलायम सिंह यादव के समधी भी हैं।
उनके अपने ही पार्टी के खिलाफ इस बयान से पार्टी के कुछ और विधायक भी उनके इस बयान के समर्थन में आ गये हैं। माना जा रहा है कि अखिलेश यादव और बसपा अध्यक्ष मायावती के साथ आने से सपा में ही बगावत शुरु हो गई है।