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रामलला के दरबार में 51 हजार दीप जलाने की नहीं मिली अनुमति

 

 

अयोध्या। रामजन्मभूमि विवादित परिसर में रामलला के दरबार में दीपोत्सव के लिए विश्व हिंदू परिषद को अनुमति नहीं मिली है।विश्व हिंदू परिषद विवादित परिसर में 51000 दीपदान नहीं कर पाएगा।

मंदिर के रिसीवर अयोध्या मंडल के कमिश्नर मनोज मिश्र ने सुप्रीम कोर्ट का आदेश स्पष्ट कर बताया कि वहां केवल परम्परागत कार्यक्रमों के अलावा किसी भी नये कार्यक्रम की इजाजत नहीं दी जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट में चल रहे राम जन्म भूमि—बाबरी मस्जिद केस की सुनवाई जहां अंतिम दौरे में चल रही हैं, वहीं अयोध्या में होने वाले दीपोत्सव कार्यक्रम के दौरान विवादित परिसर में विराजमान रामलला के गर्भगृह में 5100 दीपदान करने की योजना खटाई में पड़ गयी है।

विवादित परिसर के रिसीवर कमिश्नर मनोज मिश्र ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को स्पष्ट करते हुए कहा कि किसी भी गैर परंपरागत कार्यक्रम की अनुमति नहीं दी जा सकती है। विहिप के प्रतिनिधि मंडल को मंडलायुक्त ने बताया कि दीपदान की इजाजत के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना होगा।

विश्व हिंदू परिषद का एक प्रतिनिधिमंडल सोमवार को मंदिर के रिसीवर कमिश्नर मनोज मिश्र से उनके कार्यालय में मिला था। जिसमें दीपावली के दिन 27 अक्टूबर को विवादित परिसर में दीपदान के लिए अनुमति मांगी थी। प्रतिनिधिमंडल में श्री राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष मणिराम दास छावनी के महंत नृत्य गोपाल दास के उत्तराधिकारी महन्त कमलनयन दास, अयोध्या संत समिति के अध्यक्ष महंत कन्हैया दास, विश्व हिंदू परिषद के प्रवक्ता शरद शर्मा व पार्षद रमेश दास, महन्त अर्जुन दास सहित कई अन्य संत भी मौजूद रहे।

रामजन्मभूमि में हर दीपावली पर जलते हैं 51 दीप

रामजन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने बातचीत में कहा कि अधिग्रहीत परिसर में किसी नई परंपरा के शुभारंभ के लिए रिसीवर की अनुमति लेनी होती है। अभी दीपावली में केवल 51 दीप ही रामलला के दरबार में जलाए जाने की परंपरा चली आ रही है। दीप जलाने के लिए कोई सरकारी अनुदान भी नहीं है। वह स्वयं ही दीपक की व्यवस्था कर रामलला के दरबार को रोशन करते हैं।