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योगी सरकार में किशोर-किशोरियों के सच्चे साथी बने ‘साथिया केंद्र’

 

यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य दिवस (12 फरवरी) पर विशेष

– 13.58 लाख किशोर-किशोरियों ने पंजीकरण कराकर अपने सवालों का पाया जवाब
– 81000 किशोरियों ने माहवारी समस्याओं के बारे में ली जानकारी

लखनऊ। किशोर-किशोरियों में हो रहे शारीरिक बदलाव के प्रति सही जानकारी मुहैया कराने पर योगी आदित्यनाथ सरकार नये और प्रभावी तरीकों से काम कर रही है। इसी को ध्यान में रखते हुए प्रदेश के 57 जिलों में किशोर स्वास्थ्य क्लीनिक अब नए कलेवर में ‘साथिया केंद्र’ के नाम से स्थापित किए गए हैं। 25 उच्च प्राथमिकता वाले जिलों में जनपद स्तर के अतिरिक्त सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर 344 किशोर स्वास्थ्य क्लीनिकों को अब साथिया केंद्र के नाम से विकसित किया जा रहा है।

क्लीनिक पर प्रशिक्षित परामर्शदाताओं द्वारा किशोर-किशोरियों के स्वास्थ्य विषयों पर परामर्श की समुचित सेवाएं मिल रही हैं। इससे उनके जीवन में बड़े बदलाव भी देखने को साफ़ मिल रहे हैं। प्रदेश के चिकित्सालयों में कार्यरत चिकित्सकों, ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य केन्द्रों पर तैनात एएनएम और हेल्थ ऐंड वेलनेस सेंटर पर तैनात कम्युनिटी हेल्थ अफसर से भी संपर्क कर किशोर स्वास्थ्य से जुड़े हर मुद्दों को आसानी से सुलझाया जा सकता है। प्रजनन स्वास्थ्य को लेकर भी किशोर-किशोरियों के तमाम उत्कंठाएं होती हैं जिनके बारे में सही जानकारी वह चाहते हैं।

उप्र की आबादी के 24 प्रतिशत में 10 से 19 वर्ष के किशोर-किशोरी

प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह के मुताबिक, आज भारत की जनसंख्या का सबसे बड़ा भाग युवा और किशोर है। जनगणना 2011 के अनुसार प्रत्येक पांचवा व्यक्ति किशोर वय में है। उत्तर प्रदेश की आबादी का 24 प्रतिशत भाग 10 से 19 वर्ष के आयु वर्ग के किशोर-किशोरियों का है। राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यकम (आरकेएसके) की रणनीति किशोरों के लिए एक प्रभावी, उचित, स्वीकार्य और सुलभ सेवा पैकेज तैयार करने, किशोर स्वास्थ्य और विकासात्मक जरूरतों को पूरा करने की है।

1.5 लाख से अधिक किशोरों ने यौन रोगों, परिवार नियोजन के बारे में संपर्क साधा

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन-उत्तर प्रदेश के महाप्रबन्धक-किशोर स्वास्थ्य डॉ. मनोज कुमार शुकुल ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि वर्तमान में प्रदेश में कुल 344 साथिया केंद्र क्रियाशील हैं। इन किशोर स्वास्थ्य क्लीनिक (एएफएचएससी) पर बीते साल अप्रैल से दिसम्बर तक 13.58 लाख किशोर-किशोरियों ने अपना पंजीकरण कराकर परामर्श एवं क्लीनिकल सेवाएं प्राप्त की हैं। करीब 81000 किशोरियों ने माहवारी से सम्बंधित समस्याओं के बारे में जानकारी ली है। दूसरी ओर 1.5 लाख से अधिक किशोरों ने यौन रोगों, परिवार नियोजन के संसाधनों और यौनाचार से पीड़ित किशोरों ने इन केन्द्रों पर संपर्क साधा है।

नजरंदाज न करें, समस्या को सुलझाएं

किशोरावस्था के दौरान माता-पिता को भी बच्चों की समस्याओं को सुलझाने का प्रयास करना चाहिए। उनकी समस्याओं को धैर्यपूर्वक सुनें और उचित सलाह दें न कि नजरअंदाज करें। टालने और नजरअंदाज करने से माता-पिता एवं युवाओं की प्रतिक्रियाएं उनके आपसी स्नेहपूर्ण तथा जिम्मेदार संबंधों में स्वस्थ लैंगिक विकास के विषय में संवाद को मुश्किल बनाते हैं। इसी को ध्यान में रखकर स्कूलों द्वारा भी बच्चों को इस सम्बन्ध में उचित परामर्श प्रदान करने की व्यवस्था की गयी है ताकि बच्चे अपने स्वर्णिम पथ पर अग्रसर हो सकें।