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Rocket Learning का फोकस कमजोर तबके पर
रॉकेट लर्निंग स्टार्टअप की शुरुआत कमजोर तबके को ध्यान में रख कर की गई है. इस स्टार्टअप के को-फाउंडर विशाल सुनील ने सीएनबीसी आवाज को बताया कि बच्चों के ब्रेन का 85 फीसदी विकास 3 से 8 साल की उम्र में हो जाता है. लेकिन संसाधनों की कमी से हर बच्चें तक शिक्षा नहीं पहुंच पाती. ऐसे में रॉकेट लर्निंग सरकारी स्कूल और शिक्षा की दिशा में काम करने वाली दूसरी संस्थाओं के साथ मिलकर टेक्नोलॉजी की मदद से छोटे शहर और पिछड़े गांव तक बच्चों के लिए प्रारंभिक शिक्षा फ्री में उपलब्ध करा रही हैं.
शिक्षा के क्षेत्र में #startups अब बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। जानिए इस क्षेत्र के एक यूनिक स्टार्टअप Rocket Learning के बारे में। इस स्टार्टअप की सबसे खास बात है इसका कमजोर तबकों पर फोकस । @vipinbhatt | @learning_rocket | @Vishal27Sunil | @startupindia pic.twitter.com/aTnlZiB9Cd
— CNBC-AWAAZ (@CNBC_Awaaz) October 24, 2020
स्टार्टअप की खासियत
इस स्टार्टअप की सबसे बड़ी खासियत है इसकी डिफरेंट अप्रोच जिसमें प्रारंभिक शिक्षा के लिए बच्चों के अभिभावकों को जोड़ा जा रहा है. रॉकेट लर्निंग शिक्षा की सभी समाग्री को क्षेत्रीय और ग्रामीणा भाषा में बनाता है. जिससे बच्चें और अभिभावक उसकों आसानी से समझ सकते हैं. शिक्षा सामग्री को बच्चों तक वॉट्सऐप और फेसबुक मैसेजर के जरिए पहुंचाया जाता है.
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स्टार्टअप का मॉडल बी2बी रेवेन्यू पर आधारित
रॉकेट लर्निंग स्टार्टअप ने अभी तक चंडीगढ़, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में करीब अपने साथ 15 हजार सरकारी स्कूलों को जोड़ा है. जिनमें 1 लाख से ज्यादा बच्चों पढ़ते है. जिनके लिए रॉकेट लर्निंग प्रारंभिक शिक्षा के लिए कंटेंट उपलब्ध कराता है. रॉकेट लर्निंग का फोकस विशेष तौर पर कमजोर बच्चों पर है. जिस वजह से ये स्टार्टअप शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वालें अन्य संस्था से अलग है. इसी के चलते रॉकेट लर्निंग स्टार्टअप को अभी तक इन्वेस्टर की ओर से 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम मिल चुकी हैं.
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