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इलाहबाद विश्वविद्यालय के लापरवाही से भुखमरी का शिकार हुआ रामकुमार, तबीयत बिगड़ने के बाद हुई मौत

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस के दिन विश्वविद्यालय प्रशासन में ही काम करने वाले कर्मचारी की भूख और गरीबी की तंगी से हुई मौत l

मामला इलाहाबाद विश्वविद्यालय के ताराचंद हॉस्टल का है जहां पर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी राजकुमार की मृत्यु ब्रेन हेमरेज की वजह से हो गई बताया जा रहा है कि पिछले चार-पांच महीनों से लगातार इन्हें सही तरीके से भोजन नहीं मिल पा रहा था जिसका कारण विश्वविद्यालय द्वारा इनकी वेतन को रोके जाना था l आज रामकुमार अपने संघर्ष के जीवन को त्यागते हुए मौत को गले लगा लिया यह मामला रामकुमार के अकेले का नहीं है

बल्कि छात्रावास में काम करने वाले सभी कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि पिछले 5 महीनों से उन्हें वेतन नहीं मिल पा रही है l विश्वविद्यालय प्रशासन की सेवा करते हुए स्थाई कर्मचारी के रूप में नियुक्त तक नही किया गया है अब स्थिति यह हो गई है कि एक वक्त का खाना जुटाने के लिए भी इन कर्मचारियों को संघर्ष करना पड़ रहा है l

कोरोना के चलते हॉस्टल में छात्रों की संख्या नगण्य होने के कारण जो कुछ सुविधा है इन्हें छात्रों से भी मिल पाती थी वह भी बंद हो गई है जिसका खामियाजा रामकुमार जैसे कर्मचारियों को भोगना पड़ रहा है

रामकुमार की मृत्यु से छात्र क्रोधित हो उठे हैं और उन्होंने सड़क पर चक्का जाम करने की कोशिश की लेकिन प्रशासनिक अमले की सूझबूझ एवं त्वरित कार्रवाई के चलते कुछ ही देर में चक्का जाम हटा लिया गया रामकुमार की पत्नी को स्थाई नौकरी देने की मांग को मानते हुए आंशिक रूप से इस विरोध को समाप्त कर दिया गया है लेकिन आगे यह कब तक चलता रहेगा यह स्थिति असमंजस की बनी हुई है छात्रों का कहना है कि 48 घंटों में उनकी तीन मांगे पूरी नहीं की गई तो यह एक बड़े आंदोलन के रूप में सामने आएगा क्योंकि जो लोग अपने पूरे जीवन उनके सेवा मैं बिताएं हैं तो छात्रों का भी फर्ज बनता है कि उनकी हक की लड़ाई विश्वविद्यालय प्रशासन के कमरों से लेकर सड़क तक लड़े।