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अयोध्या में राम मंदिर निर्माण ही होगी कारसेवकों को श्रद्धांजली : महंत सुरेश दास

 

 

अयोध्या। श्रीराम जन्मभूमि की प्रथम कारसेवा (1990) के दौरान शहीद कारसेवकों को दिगंबर अखाड़ा में संतों ने वैदिक मंत्रोंचारण के साथ श्रद्धांजली दी। 30 अक्टूबर और 2 नवंबर 1990 को प्रथम कारसेवा के दौरान पुलिस गोली से मारे गये निहत्थे कारसेवकों के स्मरण में प्रत्येक वर्ष दिगम्बर अखाड़ा में विहिप के बैनर तले श्रद्धांजलि सभा कर पुष्पांजलि अर्पित की जाती है। इस बार विहिप ने कार्यक्रम से दूरी बना रखी थी। जिसके कारण संतों ने इस पर नाराजगी व्यक्त करते हुये स्वंय पहुंच कर कारसेवक स्मृतिका पर धूप-दीप अर्पित कर अपनी श्रद्धानिवेदित की।

पुष्पांजलि के उपरांत महंत सुरेश दास ने कहा कि भगवान श्रीराम की जन्मभूमि को आक्रांताओं से तो मुक्त कराया जा चुका है लेकिन उनके पैरोकारों से मुक्त कराना अभी शेष है। मंदिर निर्माण हमारी प्रतिबद्धता है जो पूर्ण होगी।

अयोध्या महानगर के महापौर श्रृषिकेश उपाध्याय ने कहा भारतीय जनता पार्टी कारसेवकों के बलिदान को विस्मृत नहीं कर सकती है। उन सारी रूकावटों का निराकरण कर हिन्दुओं की धार्मिक आस्थाओं का सम्मान होगा।

अयोध्या संत समिति के अध्यक्ष सनकादिक आश्रम पीठाधीश्वर महंत कन्हैया दास ने कहा कि हिन्दुओं की एकता और सामूहिक संकल्प की प्रतिबद्धता ही कलंकित ढांचे का समापन था। उस समय मुलायम सिंह की सरकार ने निहत्थे रामभक्तों पर गोलियां चलाकर महापाप किया। उन्होंने कहा कि प्रत्येक वर्ष विहिप द्वारा इस कार्यक्रम की सूचना संतों तक पंहुचती थी लेकिन इस बार विहिप की कार्यक्रम से दूरी चिंतनीय है? दंतधावन कुंड के महंत नारायणाचारी ने कहा कि भगवान श्रीराम का मंदिर निर्माण हो यही बलिदानी कारसेवकों को श्रद्धांजलि होगी। उन्होंने कहा यह शहीद दिवस का आयोजन किसी एक संगठन के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता है। अयोध्या के प्रत्येक रामभक्तों का दायित्व है कि इसमे बढ़ चढ़कर सहभागी बनें।

कार्यक्रम के उपरांत सांसद लल्लू सिंह भी पहुंचे और दिगंबर अखाड़ा और शहीदों को पुष्प अर्पित किया। इस दौरान उन्होंने कहा हम सभी शहीदों के श्रृणि हैं। उनका बलिदान व्यर्थ नहीं होगा। अयोध्या का विकास और विस्तार ही उनके संकल्प में सहायक सिद्ध होगा। जिसकी प्रतिक्षा रामभक्त करते आ रहे हैं, उनकी प्रतिक्षा समाप्त होगी।