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राष्ट्रीय उत्थान एवं गुरु-शिष्य परम्परा’विषय काव्य पाठ news in hindi

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महू (इंदौर).  डॉ. बी. आर. अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय महू एवं भारतीय शिक्षण मंडल मालवा प्रांत के संयुक्त तत्वावधान में जननायक टंट्या भील पीठ के द्वारा ‘राष्ट्रीय उत्थान एवं गुरु-शिष्य परम्परा’ विषय पर वेबीनार का आयोजन किया गया. ब्राउस ने परम्परागत व्याख्यान माला के अतिरिक्त नवाचार करते हुए देशभक्ति से जुड़े प्रसंगों पर मनहर कविता पाठ का आयोजन किया. शासकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय, खरगोन में हिन्दी विभाग के प्रमुख एवं देश के सुपरिचित कवि डॉ. शंभूसिंह मनहर ने अपनी कविता के माध्यम से देश में मर मिटने वाले स्वाधीनता के नायकों का पुण्य स्मरण किया.  उन्होंने अपने उद्बोधन में जननायक टंट्या भील का स्मरण करते हुए कहा कि-‘टंट्या भील हमारे लिए मामा हैं.  खरगोन और खंडवा में उन्हें घर-घर में देवता की तरह पूजा जाता है. लोग उन्हें टंट्या मामा पुकारते हैं.’ टंट्या मामा को अपनी कवितामयी श्रद्धांजलि प्रस्तुत करते हुए डॉ. मनहर ने सस्वर कविता का पाठ करते हुए कहा- ‘मनुज तो छोड़, ये देव धडक़न से भी पावन हैं.’ .  

हिन्दी के अध्येता एवं कवि डॉ. मनहर का एकल काव्यपाठ ब्राउस द्वारा आयोजित किया गया था.  वेबीनार को संबोधित करते हुए डॉ. मनहर ने कहा कि भारतीय समाज चार तीर्थों को मानता है.  हमें एक पांचवें तीर्थ के रूप में सेल्युलर जेल को मानना चाहिए.  इस सेल्युलर जेल में अकेले वीर सावरकर ही नहीं थे बल्कि उनके साथ 16 सौ अन्य स्वाधीनता संग्राम के नायक भी थे, जिनके नाम का उल्लेख जेल की पट्टिका में है.  उन्होंने सेल्युलर जेल को याद करते हुए कविता का पाठ किया-‘आजाद मुल्क का पहला तिरंगा सेल्युलर जेल ने देखा था.’ .  कवि डॉ. मनहर ने प्रकृति के साथ हो रहे अत्याचार को अपनी कविता में रेखांकित किया और प्रकृति से माफी मांगते हुए कहा कि क्षमा कर दे इस बार.  उन्होंने कहा कि प्रकृति ने हमें समझा दिया कि मनुष्य की मनमानी पर नियंत्रण पाने के लिए कोरोना जैसी बीमारी से सामना करना पड़ेगा.  उन्होंने कोरोना के दौरान थमी जिंदगी की शुरूआत की उम्मीद के साथ अपनी कविता में कहा कि-‘रूक नहीं सकते हैं हम, शुरूआत तो करनी पड़ेगी.’ .  कारगिल युद्ध में अपने प्रिय छात्र के शहीद हो जाने का उल्लेख करते हुए उन सभी शहीदों के प्रति अपनी श्रद्धांजलिस्वरूप कविता का पाठ किया और कहा-‘लौट नहीं पाये घर को जो वीर, उनको नमन करो.’ .

आज के कार्यक्रम के आरंभ में स्वागत उद्बोधन डीन डॉ. मनीषा सक्सेना ने दिया.  उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजन हमें प्रेरित करते हैं.  कार्यक्रम की अध्यक्ष एवं कुलपति प्रो. आशा शुक्ला ने बताया कि राज्य शासन द्वारा ब्राउस में जनजनायक टंट्या भील पीठ की स्थापना की गई है.  उन्होंने अपनी एक छोटी सी कविता के माध्यम से मन की बात कही.  उन्होंने कहा कि ब्राउस की ओर से राष्ट्रीय काव्यगोष्ठी का आयोजन किया जाएगा.  कार्यक्रम का संचालन डॉ. अजय दुबे जी ने एवं सह-संयोजक डॉ. मनोज कुमार गुप्ता ने परम्परानुसार कल्याण मंत्र का पाठ किया.  प्रशासिनक संयोजक कुलसचिव श्री अजय वर्मा एवं सहायक कुलसचिव डॉ. संध्या मालवीय के साथ ब्राउस परिवार के सहयोग के साथ आयोजन सफल हो सका.

Source : palpalindia
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