लखनऊ |
डाॅ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल का डाॅ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में विलय करने के प्रदेश सरकार के फैसले के खिलाफ अधिवक्ता संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं नें मंगलवार को हजरतगंज स्थित गांधी प्रतिमा पर धरना दिया।
- धरना देने वालों ने आरोप लगाया कि अस्पताल के विलय के बहाने करोड़ों रुपए के घोटाले की पृष्ठभूमि तैयार की जा रही है। अस्पताल को बचाने की मुहिम में जुटे कार्यकर्ताओं का कहना है कि लोहिया चिकित्सालय का डाॅ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में विलय करने से गरीबों के इलाज का रास्ता बंद हो जाएगा। एक रूपए की जगह 250 रूपए का परचा हो जायेगा। तमाम निशुल्क सुविधाएं भी खत्म हो जाएंगी।
- अस्पताल बचाओ आन्दोलन के समर्थन में आए एएफटी बार एसोसिएशन के डीएस तिवारी ने कहा कि अंतिम आदमी को चिकित्सा मुहैया कराना सरकार का काम है, लेकिन सरकार द्वारा गरीबों का मुफ्त इलाज कर रहे अस्पतालों का विलय करना निंदनीय है।एडवोकेट विजय कुमार पाण्डेय नें कहा कि यदि विलय का फैसला वापस नहीं हुआ तो अदालत से गुहार लगाई जाएगी।
- धरने को संबोधित करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता प्रताप चन्द्रा ने कहा कि डाॅ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल के विलय के जरिए करोड़ों रुपये के घोटाले की तैयारी है। इसमें राजनितिक साजिश की बू आती है। उन्होंने कहा कि सपा सरकार द्वारा तैयार कराये गए अस्पताल को मौजूदा सरकार द्वारा अपने खाते में गिनाने के लिए विलय की योजना तैयार की गई है।
- धरने में प्रमुख रूप से समाजसेवी एमएल गुप्ता, टीडी गर्ल्स इंटर कालेज के चेयरमैन एमपी यादव, महिला ब्रिगेड अध्यक्ष कान्ति पाण्डेय, नर्सिंग एसोसिएशन अध्यक्ष अशोक कुमार, गंगाराम और अमित सचान सहित तमाम नागरिक शामिल हुए।