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UPNHM संविदा कर्मचारी संघ ने मुख्यमंत्री को सौंपा ज्ञापन,ये है मांग

देव श्रीवास्तव|

लखीमपुर खीरी

उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन संविदा कर्मचारी संघ की लखीमपुर शाखा ने मुख्यमंत्री को अपनी मांगों को लेकर 15 सूत्रीय एक ज्ञापन सांसद अजय मिश्र टेनी व विधायक रामकुमार वर्मा को दिया दोनों ही जनप्रतिनिधियों द्वारा यह आश्वासन दिया गया कि उनकी मांगों को लेकर वह मुख्यमंत्री से बात करेंगे।

संविदा मक्रियों की ये हैं मांगें

  • इन में निम्नलिखित मुद्दों में संविदा कार्मिकों का स्थायी समायोजन एवं नवीन पद सृजन, राजकीय सेवा में नियमित पदों के सापेक्ष कार्यरत संविदा कार्मिकों को उनके कार्यों एवं पदाभिहित पटल उत्तरदायित्वों के दृष्टिगत हरियाणा राज्य की भॉंति समायोजित कर ग्रेड-पे लागू करने की नीति बनाते हुए जो पद विभाग में सृजित नहीं हैं, को सृजित कर विभाग में स्थायी तौर पर समायोजन कराना, जिससे विभागीय आवश्यकताओं की पूर्ति हो सके और हम संविदाकर्मियों को राजकीय कार्यों का प्रतिफल प्राप्त हो सके। अतः हमें स्थायीकरण प्रदान किया जाये।
  • साथ ही लम्बित समान कार्य समान वेतन एवं मानव संसाधन नीति लागू किए जाने की मांग कि कहा कि माननीय सर्वाच्च न्यायालय द्वारा सिविल अपील सं0-313/2013 में पारित आदेष दिनांक 26.10.2016 के अन्तर्गत समान कार्य हेतु समान वेतन को लागू करने के लिए निर्देश जारी किये गये हैं।
  • यदि समायोजन कार्य में विलम्ब की स्थिति है तो कृपया हरियाणा राज्य की भॉंति हमें ग्रेड-पे प्रदान कर विशिष्ट मानव संसाधन नीति लागू की जाये जिनके सन्दर्भ में केन्द्र सरकार द्वारा जारी अर्द्धशासकीय पत्रों एवं राज्य स्तर पर बनी संस्तुतियों एवं सहमतियों का संज्ञान लें। तीसरी मांग थी कि विशिष्ट सेवा नीति एवं जॉब सिक्योरिटी दिया जाना। जिससे हमारी संविदा सेवा संशोधित करते हुए विशेष नीति तैयार कर जॉब सिक्योरिटी एवं सेवा सुरक्षा प्रदान कर आदर्श मानव संसाधन नीति बनाई जाये।
  • कई संविदा कार्मिकों की सेवाकाल में दुर्घटना, बीमारी आदि से मुत्यु हो चुकी है किन्तु सामाजिक सुरक्षा अथवा अनुकम्पा का लाभ संविदाकर्मियों के आश्रितों को नहीं दिया गया है, जिसके कारण उनके परिवार को आर्थिक समस्याओं से ग्रसित होना पड़ता है। अतः हम संविदाकर्मियों के लिए ग्रेड-पे लागू कर मानव संसाधन नीति को यथाशीघ्र लागू कराया जाए।
  • चौथी मांग थी कि ठेका प्रथा(आउटसोर्सिंग) से को खत्म किया जाए। आज भी प्रदेश के कई जनपदों में अभी भी ब्लॉक प्रोग्राम मैनेजर एवं एमसीटीएस आपरेटर सेवा प्रदाता के माध्यम से कार्यरत हैं, जिनका निजी सेवाप्रदाता एजेन्सियों द्वारा विभिन्न प्रकार से मानसिक एवं आर्थिक शोषण किया जाता है। उन संविदा स्वास्थ्य कार्मिकों को ठेका सेवा से मुक्ति दिलाते हुए जिला स्वास्थ्य समिति के अधीन कर ठेका प्रथा बन्द की जाय।
  • जिला स्वास्थ्य समितियों के अधीन किये जाने के नाम पर हो रही सेवा बर्खास्तगी, उत्पीड़न एवं शोषण पर पूर्णतः रोकथाम कर जॉब सिक्योरिटी प्रदान की जाय। साथ ही रीढ़ की हड्डी ‘‘आषा’ जो कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन एवं सभी स्वास्थ्य कार्यक्रमों में महत्वपूर्ण कड़ी ‘‘आशा’’ जो विभाग की रीढ़ है, जिसके द्वारा मातृ, शिशु, किशोर-किशोरियों एवं जनसंख्या नियंत्रण जैसे महत्वपूर्ण सूचकांकों को सही करने में महती योगदान है।
  • अतः समस्त आशा कार्यकत्रियों को ऑंगनवाड़ी कार्यकत्री की भॉंति निश्चित मानदेय (न्यूनतम रू0 10,000/-मासिक) निर्धारित कर कर्मचारी का दर्जा प्रदान किया जाय। ज्ञापन देने वालों में जिला अध्यक्ष विकास श्रीवास्तव, महामंत्री देवेंद्रनाथ पांडे, उपाध्यक्ष (महिला) सुष्मिता वर्मा, कोषाध्यक्ष विजय वर्मा, सचिव संतोष आनंद, मीडिया प्रभारी देवनंदन श्रीवास्तव के साथ ही डॉ राकेश गुप्ता, राघवेंद्र श्रीवास्तव, अनुज श्रीवास्तव आदि मौजूद रहे।