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हिंदी फिल्मों के दर्शकों को क्रिकेट पर बनी फिल्में बिल्कुल पसंद नहीं आ रही उनमें से एक “शाबाश मिथू” है

पहले ‘83’, फिर ‘जर्सी’ और अब ‘शाबाश मिथु’, हिंदी फिल्मों के दर्शकों को क्रिकेट पर बनी फिल्में बिल्कुल पसंद नहीं आ रहीं। इसकी एक वजह देश में होने लगे बेइंतहा क्रिकेट मैचों को तो माना जा ही रहा है, फिल्म ट्रेड में बहस इस बात पर भी होने लगी है कि क्या वाकई क्रिकेट अब दर्शकों का पसंदीदा खेल रह भी गया है या फिर ये सिर्फ ऑन लाइन बेटिंग का जरिया बन चुका है। फिल्म ‘शाबाश मिथु’ की पहले दिन की ओपनिंग के आंकड़े इस बात के गवाह हैं कि दर्शकों की पसंद लगातार बदल रही है और फिल्म को रिलीज करने वाली कंपनी वॉयकॉम18 जैसी दिग्गज कंपनी हो तो भी अगर फिल्म की मार्केटिंग व प्रचार ढंग से ना किया गया हो तो फिल्म देखने लोग पहुंचते नहीं हैं।

फिल्म ‘शाबाश मिथु’ एक दक्षिण भारतीय पारंपरिक परिवार में पैदा हुई बेटी की रूढ़ियों से बगावत की कहानी है। फिल्म का प्रचार मिताली राज की बायोपिक के तौर पर किया गया। जिन मिताली राज का नाम ही इस फिल्म के चलते लोगों ने पहली बार सुना हो, वे भला ये फिल्म देखने कैसे और क्यों आएंगे, इस पर फिल्म बनाने वाली कंपनी ने शायद ही विचार किया हो। फिल्म एक भरतनाट्यम छात्रा के जीवन में संयोग से आए क्रिकेट का किस्सा भी हो सकती थी और भी तमाम सारे मिताली राज के जीवन के हैं, जिन्हें इस फिल्म के प्रचार के केंद्रबिंदु में रखा जा सकता था। लेकिन, वॉयकॉम 18 के सीओओ, तापसी पन्नू और मिताली राज ने इंडिया टूर में कैमरे पूरे समय खुद पर ही बनाए रखे।