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लालटेन की रोशनी में करना पड़ा था महात्मा गांधी का ऑपरेशन

 

 

आज पूरा देश राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गांधी यानी महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मना रहा है। महात्मा गांधी का जन्म दो अक्बटूर 1869 को पोरबंदर में हुआ था। उनके कार्यों और विचारों ने देश को आजादी दिलाने में बड़ी भूमिका निभाई। गांधी जयंती के मौके पर देश-विदेश में में विभिन्न कार्यक्रम, रैली, पोस्टर प्रतियोगिता आदि का आयोजन किया जा रहा है।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन से जुड़ी ज्यादातर बातों के बारे में लोगों को मालूम है, लेकिन शायद ही यह बात कई लोगों को नहीं मालूम होगी कि एक बार उनके ऑपरेशन के दौरान बिजली चली गई और टॉर्च भी काम नहीं आई तो लालटेन की रोशनी में उनका ऑपरेशन पूरा किया गया।

1922 में स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान 48 साल के मोहनदास करमचंद गांधी को अहमदाबाद सेशन्स कोर्ट ने उन्हें छह साल के लिए जेल की सजा सुनाई थी। उन्हें फिर पुणे लाया गया और सेंट्रल यरवदा जेल में रख दिया गया। यरवदा जेल में दो साल पूरा करने के बाद महात्मा गांधी ने पेट में तेज दर्द की शिकायत की। उनका यह दर्द इतना असहनीय था कि यरवदा जेल के सिविल सर्जन और सरकारी डॉक्टर ने अपनी कार के जरिए तत्काल गांधी जी को सूसन अस्पताल पहुंचाया। बापू को सूसन अस्पताल में भर्ती कराया गया।

बापू कई मेडिकल टेस्ट कराए गए और डॉक्टरों ने पाया कि गांधीजी को अपेन्डिसाइटिस की दिक्कत है। उस समय उनकी उम्र 50 वर्ष थी। महात्मा गांधी ने ऑपरेशन के लिए दो भारतीय डॉक्टरों डॉक्टर दलाल और जीवराज के नाम का सुझाव दिया। ब्रिटिश सरकार दोनों भारतीय डॉक्टरों का इंतजार करने को राजी हो गई। सूसन अस्पताल के ब्रिटिश सर्जन कर्नल माडोक ने दोनों डॉक्टरों को तलाशने की हरसंभव कोशिश की, लेकिन कोई कामयाबी नहीं मिली।

अंततः कर्नल माडोक ने पाया कि महात्मा गांधी की स्थिति ठीक नहीं है और तुरंत ऑपरेशन करना पड़ेगा। गांधीजी भी मान गए और उन्होंने ब्रिटिश सर्जन को लिखित में इसकी सहमति दे दी। ऑपरेशन की तैयारी शुरू कर दी गई। आधी रात हो चुकी थी। ऑपरेशन में 40 मिनट लगना था, जिसमें 20 मिनट टांके लागने में लगने थे।

95 साल पहले 1924 में जनवरी की एक अंधेरी और तूफानी रात थी जब पुणे के सूसन अस्पताल में महात्मा गांधी के अपेंडिक्स का ऑपरेशन हो रहा था, जोरदार आंधी और बारिश के बीच अचानक बिजली चली गई तो ऑपरेशन के लिए टॉर्च की मदद ली गई, लेकिन ऑपरेशन के बीच में इसने भी जवाब दे दिया। आखिरकार, ब्रिटिश डॉक्टर ने लालटेन की रोशनी में ऑपरेशन को पूरा किया।