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मदरसों में संविधान पढ़ाये जाने को लेकर बनी राय

लखनऊ|

दारुल उलूम फरंगी महल में चल रही तीन दिवसीय तरबियत कजा कैंप के अंतिम दिन गुरुवार को काजियों के पाठ्यक्रम में संविधान पढ़ाए जाने की पर राय बनी। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एमपीएलबी) के कार्यक्रम में मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने दारुल कजा कॉन्फ्रेन्स में पास हुए ज्ञापन की जानकारी दी।

फरंगी महली ने कहा कि दारुल कजा को हर भाषा में दारुल कजा ही लिखा और बोला जाए। इसकी जगह इस्लामी अदालत, शरअई अदालत, शरइया कोर्ट जैसे शब्दों के इस्तेमाल कतई न हो। हर महीने कम से कम एक जुमे पर खुतबे से पहले इमाम साहब नमाजियों को दारुल कजा की अहमियत से रूबरू करवाएं। उन्होंने कहा कि इस्लामी शरीअत के आदेशों व कानून से विशेष तौर पर अधिवक्ताओं, जजों और अन्य लोगों को अवगत करवाने के लिए हर शहर और क्षेत्र के उलमा कार्यक्रम रखें। इसके साथ ही मदरसों में तदरीब कजा व इफ्ता के पाठ्यक्रम में संविधान की ऐसी धाराएं, जिनका संबंध मुसलमानों से हो शामिल करने को कहा। सेमिनार के दौरान मौलाना काजी मो. कासिम मुजफ्फरपुरी, मौलाना अतीक अहमद बस्तवी, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव जफरयाब जीलानी, मौलाना नईमुर्रहमान सिद्दीकी, मौलाना कमरूद्दीन, मौलाना वसी अहमद कासमी ने भी संबोधित किया।