प्रयागराज। इलाहाबाद का नाम अब बदल चुका है। कागजों पर अब यह प्रयागराज कहा जाता है लेकिन लोगों की जुबान पर अभी भी इलाहाबाद ही गूंजता है। लोकसभा चुनाव के छठे चरण में इस सीट पर भी मतदान होना है। जहां से भारतीय जनता पार्टी ने रीता बहुगुणा जोशी को अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं दूसरी ओर आम आदमी पार्टी ने एक किन्नर भवानी नाथ वाल्मीकि को इस सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है और अंत में बारी आती है कॉन्ग्रेस की, जिसने अपनी पुश्तैनी सीट पर योगेश शुक्ला को टिकट दिया है।
बताते चलें कि इलाहाबाद की सीट पर अंतिम बार कॉन्ग्रेस को 1984 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद जीत हासिल हुई थी। उस दौरान राजीव गांधी के मित्र अमिताभ बच्चन उनके कहने पर ही राजनीति में आए थे। उन्होंने लोकदल के टिकट से चुनाव लड़ रहे हेमवती नंदन बहुगुणा को एक लाख 87 हजार वोटों से हराया था। जबकि इस सीट पर उसके बाद से कांग्रेस कभी भी वापसी नहीं कर पाई है।
उसके बाद के चुनावों में इस सीट पर समाजवादी पार्टियों को दबदबा रहा। 1996 में इस सीट पर भाजपा के कद्दावर नेता मुरली मनोहर जोशी ने जीत हासिल की। उन्होंने यहां से 1998 और 1999 में भी यहां से जीत हासिल की। उसके बाद यहां से 2004 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर खड़े हुए कद्दावर नेता रेवती रमण सिंह ने जीत हासिल की। इसके बाद 2009 में वह एक बार फिर से जीते। वहीं 2014 में मोदी लहर के चलते यहां से श्यामा चरण गुप्ता ने रेवती रमण सिंह को पटखनी दे दी।
अब कांग्रेस अपने चुनावी गढ़ को फतह करने में एक भी बार सफल नहीं हो पाई है। अब एक बार फिर से इलाहाबाद की सीट से लोकसभा चुनाव काफी दिलचस्प होने वाला है। क्योंकि भाजपा ने पूर्व सीएम हेमवती नंदन बहुगुणा और यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी को टिकट दिया है। जबकि रीता पहले भी इस शहर की मेयर रह चुकी हैं। वहीं कांग्रेस के सामने अपना पुराना चुनावी गढ़ वापस पाने की चुनौती होगी।