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”द फेस ऑफ मोहम्मद” शीर्षक के साथ कर्ट वेस्टरगार्ड ने 2005 में एक कार्टून बनाया था, जिसे एक न्यूजपेपर जिलैंड्स-पोस्टेन में प्रकाशित किया गया था. इसमें 12 तस्वीरें थीं, जिसके बाद मुस्लिम देशों में उनका काफी विरोध किया गया था और मुस्लिमों के बीच काफी ज्यादा गुस्सा फूट पड़ा था. आपको बता दें कि इस्लाम में कहा गया है कि नबी की कोई भी तस्वीर नहीं बनाई जा सकती है और ना ही बनाई जानी चाहिए और ना ही किसी तरह की तस्वीर दिखाई जानी चाहिए. लेकिन कर्ट वेस्टरगार्ड ने उनका कार्टून बना दिया था, जिसके बाद मुस्लिम देशों में उनके खिलाफ काफी ज्यादा गुस्सा फूट पड़ा था. अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, शुरुआत में दो हफ्ते तक कार्टून को लेकर कोई विवाद नहीं हुआ था, लेकिन वक्त बढ़ने के साथ जब लोगों को कार्टून की जानकारी मिली थी, तो काफी ज्यादा विवाद बढ़ गया था.
रिपोर्ट के मुताबिक पैगंबर मोहम्मद के कार्टून बनाने की वजह से डेनमार्क में सांप्रदायिक दंगे भड़क गये थे और भयानक हिंसा हुई थी. आक्रोशित लोगों ने फरवरी 2006 में डेनमार्क की सड़कों पर काफी खून बहाया था और सरकारी संपत्तियों का नुकसान किया था. वहीं, मुस्लिम देशों में डेनमार्क के राजदूत को तलब करते हुए गुस्से का इजहार किया गया था. डेनमार्क की मीडिया के मुताबिक फरवरी 2006 में भड़की हिंसा में कम से कम 12 लोग मारे गये थे और सैकड़ों लोग घायल हुए थे. कई मुस्लिम देशों में डेनमार्क और नॉर्वे के दूतावासों पर हमला भी किया गया था.
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कर्ट वेस्टरगार्ड डेनमार्क के अखबार जिलैंड्स-पोस्टेन में 1980 के दशक से ही काम कर रहे थे. अपने कार्टून के जरिए वो रूढ़िवादी परंपरा, सरकार, भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर तीखे सवाल उठाया करते थे. मोहम्मद साहब का विवादित कार्टून बनाने से पहले भी उनके कई कार्टून पर डेनमार्क में भारी विवाद हो चुका था. लेकिन, जीवन के आखिरी सालों में विवादित कार्टून की वजह से वो सार्वजनिक जीवन से कट गये थे और वो पुलिस की सुरक्षा में रहते थे. 2010 में 28 साल के एक लड़के को कर्ट वेस्टरगार्ड के घर के बाहर से गिरफ्तार किया गया था, जो उन्हें मारने आया था.
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