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ब्रह्मचारिणी मां की पूजा करने का शुभ मुहूर्त क्या है ये जाने

* ब्रह्मचारिणी मां* :-

नवरात्र पर्व के दूसरे दिन पूजा-अर्चना की जाती है[1]। साधक इस दिन अपने मन को माँ के चरणों में लगाते हैं। ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली। इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली। इनके दाहिने हाथ में जप की माला एवं बाएँ हाथ में कमण्डल रहता है। यह जानकारी भविष्य पुराण[2] से ली गई है।

*ब्रह्मचारिणी- नवदुर्गाओं मे द्वितीय रूप:-

देवनागरी : ब्रह्मचारिणी

संबंध : हिंदूदेवी

अस्त्र:- कमंडल व माला

संतान : ऋक्,यजुष,साम,अथर्व (पौत्र:व्याडि,लोकविश्रुत मीमांस,पाणिनी,वररुचि)

सवारी :- पैर

*श्लोक*:- 

। दधाना कर पद्माभ्यामक्ष माला कमण्डलु | देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा || [3]

*फल संपादित करें*:-

माँ दुर्गाजी का यह दूसरा स्वरूप भक्तों और सिद्धों को अनन्तफल देने वाला है। इनकी उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है। जीवन के कठिन संघर्षों में भी उसका मन कर्तव्य-पथ से विचलित नहीं होता।

माँ ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से उसे सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है। दुर्गा पूजा के दूसरे दिन इन्हीं के स्वरूप की उपासना की जाती है। इस दिन साधक का मन ‘स्वाधिष्ठान ’चक्र में शिथिल होता है। इस चक्र में अवस्थित मनवाला योगी उनकी कृपा और भक्ति प्राप्त करता है।

इस दिन ऐसी कन्याओं का पूजन किया जाता है कि जिनका विवाह तय हो गया है लेकिन अभी शादी नहीं हुई है। इन्हें अपने घर बुलाकर पूजन के पश्चात भोजन कराकर वस्त्र, पात्र आदि भेंट किए जाते हैं।

*उपासना संपादित करें*

प्रत्येक सर्वसाधारण के लिए आराधना योग्य यह श्लोक सरल और स्पष्ट है। माँ जगदम्बे की भक्ति पाने के लिए इसे कंठस्थ कर नवरात्रि में द्वितीय दिन इसका जाप करना चाहिए।

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

अर्थ : हे माँ! सर्वत्र विराजमान और ब्रह्मचारिणी के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ।

*इन शुभ मुहूर्तों में करें पूजा- अर्चना*-

ब्रह्म मुहूर्त- 04:39 ए एम से 05:29 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 11:45 ए एम से 12:32 पी एम
विजय मुहूर्त- 02:05 पी एम से 02:52 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 05:47 पी एम से 06:11 पी एम
अमृत काल- 11:00 ए एम से 12:27 पी एम
निशिता मुहूर्त- 11:44 पी एम से 12:33 ए एम, अक्टूबर 09
रवि योग- 06:59 पी एम से 06:18 ए एम, अक्टूबर