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जानें सेक्स से जुडी कुछ गलतफहमियां और उनकी सच्चाई

हमारे समाज में आज भी बड़ी संख्या में ऐसे लोग मौजूद हैं जो सेक्स को टैबू मानते हैं और इसके बारे में बात करने से कतराते हैं। यही वजह है कि इस टॉपिक से जुड़ी हमारी जानकारी सीमित हो जाती है और बहुत से लोगों के मन में सेक्स से जुड़ी भ्रांतियां और गलतफहमियां विकसित हो जाती हैं। इन गलतफहमियों का आपकी सेक्शुअल हेल्थ और सेक्स लाइफ पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। आज हम आपको बता रहे हैं सेक्स से जुड़ी इन सामान्य गलतफहमियों के बारे में जिनकी हकीकत जानना बेहद जरूरी है…

मिथक: साइज सबसे जरूरी है

सिर्फ महिलाएं ही नहीं बल्कि बहुत से पुरुष भी यही मानते हैं कि एक पुरुष के प्राइवेट पार्ट का साइज ही उसके लवमेकिंग स्किल्स को डिसाइड करता है। बहुत से लोग तो ऐसे भी होते हैं जो पॉर्न फिल्मों में दिखने वाले किरदारों जैसा साइज चाहते हैं और इसके लिए डॉक्टर से दवा और सर्जरी तक करवाने को तैयार रहते हैं। 

हकीकत: जर्नल ऑफ यूरोलॉजी रिपोर्ट की मानें तो पुरुषों के प्राइवेट पार्ट का दुनिया में औसत साइज इरेक्ट होने पर 5.1 इंच है और लवमेकिंग का एक्सपीरियंस साइज पर निर्भर नहीं करता है। पार्टनर के साथ आपका लवमेकिंग अनुभव कैसा रहेगा यह इस बात पर निर्भर करता है उनके साथ आपका कनेक्शन कैसा है। 

मिथक: इंटरकोर्स लंबा चलना चाहिए 

एक बार पॉर्न देखने कि वजह से बहुत से लोगों के मन में यह गलतफहमी रहती है कि इंटरकोर्स का समय लंबा होना चाहिए। बहुत से कपल्स को लगता है कि उनका पेनिट्रेटिव सेक्स कम से कम 10-15 मिनट तक चलना चाहिए और इससे कम को वे असंतुष्टि के तौर पर देखते हैं। 

हकीकत:भारत में पेनिट्रेटिव इंटरकोर्स की ऐवरेज ड्यूरेशन ढाई से 5 मिनट के बीच है क्योंकि ज्यादातर पुरुषों में पेनिट्रेशन को लेकर हड़बड़ी देखी जाती है। सेक्स को इंट्रेस्टिंग बनाने के लिए फोरप्ले पर ध्यान देना जरूरी है कि ताकि दोनों की उत्तेजना बढ़े। 

मिथक: दोनों पार्टनर का साथ में क्लाइमैक्स करना जरूरी 

बहुत से कपल्स को ऐसा लगता है कि अगर वे दोनों साथ में क्लाइमैक्स महसूस नहीं कर पा रहे हैं तो इसका मतलब है कि उनके रिश्ते में कुछ गलत है। उन्हें लगता है कि अगर-अगर दोनों पार्टनर अलग-अलग समय पर क्लाइमैक्स करते हैं तो इसका मतलब है कि उनकी लवमेकिंग टेक्नीक में कुछ गलत है। 

हकीकत: दोनों पार्टनर का एक साथ ऑर्गैज्म तक पहुंचना, इरॉटिक नॉवल्स में पढ़ने में अच्छा लगता है लेकिन रियल लाइफ में ऐसा होना नामुमकिन सा लगता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ज्यादातर महिलाएं सिर्फ इंटरकोर्स के जरिए ऑर्गैज्म महसूस नहीं कर पाती हैं। 
मिथक: ऐल्कॉहॉल से बढ़ती है नजदीकियां 

सेक्शुअल ऐक्ट से पहले 1 या 2 पेग रोमांटिक लग सकता है और बहुत से लोग तो ऐसा भी सोचते हैं कि शराब के नशे में लोग सभी तरह की रुकावट को भूल जाते हैं और पूरा ऐक्ट कामोत्तेजक हो जाता है। 

हकीकत: ऐल्कॉहॉल पीने के बाद इन्हिबिशन्स यानी रुकावट जरूर दूर हो जाती है लेकिन ऐसी परिस्थिति में पूरा ऐक्ट रिस्की हो जाता है। इतना ही नहीं अगर आप ऐल्कॉहॉल का सेवन बहुत ज्यादा करते हैं तो इसका सीधा असर आपके टेस्टोस्टेरॉन पर पड़ता है और फिर आपकी कामेच्छा कम होती जाती है।