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जानिए क्या है फिंगर कॉट के बारे में,सेफ सेक्स में आता है काम

सेफ सेक्स के लिए वैसे तो कई तरह के प्रटेक्शन उपलब्ध हैं, जो यौन संक्रामक रोग के अलावा अनचाहे गर्भ से बचाव करते हैं। लेकिन बीते कुछ सालों में डिजिटल सेक्स के चलन ने जोर पकड़ा है। डिजिटल सेक्स यानी वह प्रक्रिया जिसमें सेक्स के दौरान फिंगर या फिर पांव के अंगूठे का इस्तेमाल एक स्टिम्युलेटर के तौर पर किया जाता है।

फिंगर कॉट एक ट्यूब के जैसा दिखने वाला कैप होता है जिसे उंगली पर पहना जाता है। आमतौर पर इसका इस्तेमाल चोट लगी उंगली को ड्राई रखने के लिए किया जाता है, लेकिन इसे सुरक्षित यौन संबंधों के लिए भी कारगर माना जाता है। 

  • इस तरह के सेक्शुअल इंटरकोर्स में काफी कम खतरा माना जाता है। चूंकि इसमें फिंगर का इस्तेमाल होता है इसलिए इसे फिंगरिंग भी कहा जाता है। चूंकि इस सेक्शुअल ऐक्ट में तब तक प्रेग्नेंसी का कोई खतरा नहीं होता जब तक कि फिंगर के जरिए स्पर्म फीमेल प्राइवेट पार्ट में न चला जाए। इसके अलावा यह एसटीआई से बचाव में भी सहायक है।
  • कई बार सेक्स टॉयज या अन्य चीजों के इस्तेमाल से भी यौन रोग फैलने का खतरा रहता है। ऐसे में उन टॉयज या चीजों को फिंगर कॉट से कवर करके इस्तेमाल किया जा सकता है।

 

  • फिंगर कॉट को पहनने से पहले अपने नाखून काट लें और हाथ अच्छी तरह से साफ कर लें। जब हाथ पूरी तरह से सूख जाएं तो फिर फिंगर कॉट को उंगली में पहनें। चेक कर लें कि अंदर किसी तरह का कोई एयर बबल न हो। इसके अलावा इसे पहनते वक्त कोई सेफ लुब्रिकेंट लगाएं नहीं तो यह फट सकता है। इस्तेमाल करने के बाद फिंगर कॉट को डिस्पोज कर दें। इसके बाद हाथों को अच्छी तरह से धोएं।
  • प्राइवेट पार्ट में बिना किसी प्रटेक्शन के फिंगरिंग प्रोसेस करने से एचपीवी जैसे घातक यौन रोग हो सकते हैं। इसके अलावा अगर फिंगर कॉट कटा-फटा हो या फिर उसमें अजीब सी स्मेल हो तो उसे बिल्कुल भी यूज न करें।