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सावन:शिव के त्रिशूल पर बसी है काशी,जानिए काशी के अद्भुत रहस्य

अध्यात्म|

सावन को शिव का पवित्र माह माना गया है और माना गया है काशी सबसे पुराना शहर है.काशी में सावन में भोले बाबा को जल चढ़ाने के लिए काशीवासी ही नहीं बल्कि दूर-दराज से लोग आते हैं। काशी तीर्थस्थल है और इस प्राचीन नगरी में काशी विश्वनाथ का दर्शन करना किसी पुण्य काम से कम नहीं।  बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने के लिए देश नहीं विदेश से लोग आते हैं। गंगा किनारे बसी काशी को भगवान शिव के त्रिशूल पर टिका हुआ माना गया है।बाबा विश्वनाथ का मंदिर अपने आप में कई आश्चर्य समेटे हुए है। कहते हैं काशी में आने पर बाबा का दर्शन जरूर करना चाहिए और जिसे काशी में बसने का सपना हो वह बाबा के दर्शन के बाद काल भैरव का दशर्न जरूर करें। काशी के कोतवाल हैं काल भैरव।

 1. काशी विश्वनाथ मंदिर में केवल सावन या शिवरात्रि में ही नहीं बल्कि पूरे साल ही यहां भक्तों का मेला लगा रहता है। भोले बाबा के दर्शन करने के लिए यहां प्रतिदिन लंबी लाइन लगती है। सोमवार का दिन भोले बाबा का दिन होता है और यही कारण ही आम दिनों में यहां सोमवार के दिन भक्तों की भीड़ ज्यादा होती है। तो आइए सावन के विशेष मौके पर भोले बाबा के मंदिर से जुड़े कुछ रोचक तथ्य जानें।

2. काशी के विश्वनाथ मंदिर में स्थित शिवलिंग 12 ज्योर्तिलिंगों में शामिल है। काशी को भोले बाबा की नगरी कहा जाता है। गंगा किनारे स्थित इस मंदिर कि स्थाना 1490 में हुई थी।

3. ऐसी मान्यता है कि काशी भगवान शिव के त्रिशूल पर टिकी है और काशी की रक्षा भगवान शिव ही करते हैं। भगवान शिव काशी के पालक और संरक्षक इसी कारण से माने गए हैं।

4. काशी विश्वनाथ मंदिर का छत्र सोने का है। हालांकि मंदिर पर पहले नीचे तक सोने लगा था लेकिन अंग्रेजों ने इस सोने को निकाल लिया था। केवल छत्र पर ही अब सोना रह गया है। ऐसी मान्यता है कि सोने के छत्र के दशर्न करने मात्र से लोगों की मान्यताएं पूरी हो जाती हैं।

5. पुराणों में इस बात का उल्लेख है कि धरती का निमार्ण जब हुआ था तो सूर्य की पहली किरण काशी पर ही पड़ी थी।

6. काशी को मोक्षदायनी माना गया है। यही कारण है कि लोग दूर-दूर से अपने जीवन के अंतिम समय में काशीवास करते हैं और भोले बाबा की शरण में रहते हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां प्राण त्यागने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

7.  सावन में विश्वनाथ मंदिर में स्थापित शिवलिंग पर जल चढ़ाने से जीवन के कई कष्टों से इंसान मुक्त हो जाता है।

8. औरंगजेब ने विश्वनाथ जी के मंदिर को तोड़वा डाला था और उसके ठीक बगल में ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण करा दिया था। लेकिन लोगों ने मंदिर टूटने से पहले शिव के ज्योतिर्लिंग को एक कुएं में छिपा दिया था। वह कुआं आज भी मंदिर और मस्जिद के बीच में स्थित है।

9. बाद में इंदौर की रानी अहिल्याबाई होल्कर ने बाबा विश्वनाथ के इस प्राचीन मंदिर का फिर से निर्माण कराया था।

प्राचीन काशी विश्वनाथ मंदिर दशाश्वमेध पर स्थित है। इस मंदिर के अलावा बनारस हिंदू विश्वविद्याल में भी एक भव्य विश्वनाथ मंदिर का निमार्ण कराया गया है। यह मंदिर भी काफी लोकप्रिय है।