नए फैसले के मुताबिक 15 मई तक के रजिस्टर्ड ट्रेड मार्क वाली चीजें बेचने वाली कंपनियों को पांच फीसदी जीएसटी देना होगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने हैदराबाद में जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद इन फैसलों का एलान किया। उन्होंने कहा कि जीएसटी के तहत टैक्स कलेक्शन काफी अच्छा रहा है और अब तक इससे 95,000 करोड़ रुपये आ चुके हैं।
ताकि गरीबों का भरोसा कायम रहे
जीएसटी लागू करते वक्त कुछ वस्तुओं पर टैक्स की दरें बढ़ाने से सरकार पर गरीब विरोधी होने के आरोप लगने लगे थे। मसलन, मूर्तियों पर 30 फीसदी टैक्स लगा दिया गया था। इन खामियों को दूर करने के लिए सरकार ने दैनिक उपभोग की 30 वस्तुओं की जीएसटी दरें घटाते हुए रिटर्न फाइल करने की तारीख भी बढ़ाकर 10 अक्तूबर कर दी है, ताकि सरकार की गरीब हितैषी छवि पर लोगों का भरोसा कायम रह सके। ब्रांड-रहित खाद्य वस्तुओं को जीएसटी से मुक्त रखा गया है जबकि ब्रांडेड और पैकेज्ड खाद्य वस्तुओं पर सिर्फ 5 फीसदी टैक्स लगाया गया है।
भुने चने, इडली, डोसा घोल, सूखी हल्दी, कस्टर्ड पाउडर, खली, धूपबत्ती, धूप और इसी तरह की अन्य वस्तुओं, प्लास्टिक रेनकोट, रबर बैंड, राइस रबर रॉल्स, कंप्यूटर मॉनिटर, किचेन गैस लाइटर, झाड़ू, ब्रश आदि।
20 लाख टर्नओवर वाले इंटर-स्टेट जॉब वर्क पर राहत
इंटर स्टेट-जॉब वर्क का टर्नओवर अगर 20 लाख तक है तो भी रजिस्ट्रेशन की जरूरत नहीं है। सरकारी वर्क कांट्रेक्ट में टैक्स 18 फीसदी से घटा कर 12 फीसदी कर दिया गया है। पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने कहा कि इससे सरकार का काफी टैक्स बचेगा।
बड़ी कारों पर बढ़ा सेस
काउंसिल के फैसले के मुताबिक, मिड साइज कारों पर सेस 43 फीसदी से बढ़ कर 45 फीसदी हो गया है। इससे पहले इनकी जीएसटी दरें 48 फीसदी से घटकर 43 फीसदी हो गई थी। बड़ी व लग्जरी कारों पर टैक्स 43 से बढ़कर 48 फीसदी किया गया है। एसयूवी पर टैक्स 43 फीसदी से बढ़कर 50 फीसदी हो गया है। एसयूवी कीमत पर भी जीएसटी के बाद 11 फीसदी का फायदा हुआ है लेकिन इस बार इस पर 7 फीसदी सेस बढ़ा दिया गया है।