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पहले SSC घोटाले में पार्थ बनर्जी फंसे तो अब बीरभूम के नेता अनुब्रत मंडल मुश्किलों में

पहले SSC घोटाले में पार्थ बनर्जी फंसे तो अब बीरभूम के नेता अनुब्रत मंडल मुश्किलों में हैं। इस बीच शुक्रवार को पार्टी को एक और बड़ा झटका लगा। तृणमूल उपाध्यक्ष पवन वर्मा ने यह कहते हुए दीदी को बाय-बाय कह दिया है कि पार्टी की राजनीति सिर्फ बंगाल तक सीमित है। वर्मा ने बीते साल नवंबर महीने तब टीएमसी ज्वाइन की थी जब ममता बनर्जी ने दिल्ली की यात्रा की थी। उन्हें पार्टी उपाध्यक्ष जैसा महत्वपूर्ण पद दिया गया था। उस वक्त कीर्ति आजाद और अशोक तंवर ने भी टीएमसी का दामन थामा था। टीएमसी में रहने के दौरान पवन ने वर्मा पार्टी की नेशनल वर्किंग कमेटी की बैठक में हिस्सा लिया था। इस साल हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले मुंबई में ममता बनर्जी की चर्चित बैठक में पवन वर्मा भी शामिल हुए थे। बौद्धिक लोगों की इस बैठक में ममता ने बीजेपी से लड़ाई का आह्वान किया था।

इस्तीफा देने के बाद द प्रिंट वेबसाइट से बातचीत में पवन वर्मा ने कहा है-तृणमूल एक बंगाल केंद्रित पार्टी है और मैं इसमें अपना कोई रोल नहीं देखता हूं। ये एक व्यक्तिगत निर्णय है और इसके बारे में मैने ममता बनर्जी को जानकारी दे दी है। राजनीति में आने से पहले पवन वर्मा भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी रह चुके हैं। भूटान और साइप्रस जैसे देशों में वो भारतीय राजदूत की भूमिका में रह चुके हैं। वो विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता भी रह चुके हैं। नागपुर में जन्में वर्मा ने दिल्ली के सैंट स्टिफेंस कॉलेज से पढ़ाई की और बेस्ट सेलिंग किताबें लिखी हैं। 2014 में वो राज्यसभा के जरिए राजनीति के क्षेत्र में दाखिल हुए। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वर्मा को 2016 में जेडीयू का महासचिव बनाया। वो नीतीश कुमार के सलाहकार भी थे। NRC-CAA के मुद्दे पर नीतीश कुमार के साथ उनके मतभेद हुए और उन्हें 2020 में पार्टी से निकाल दिया गया।