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ग्वार की कम पैदावार होने का जडग़लन रोग एक मुख्य कारण : डॉ० बी.डी. यादव

सिरसा 9 मई -।।।((सतीश बंसल )   खरीफ सीजन को ध्यान में रखते हुए क्षेत्र में ग्वार की अधिक बिजाई करने व उत्पादकता बढ़ाने के मकसद से जिले के खण्ड डबवाली के गांव जंडवाला बिश्नोईयान में ग्वार फसल पर प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें किसानों को सही समय पर बिजाई, बीजोपचार, संतुलित खादों का प्रयोग व अनावश्यक खरपतवारनाशक खाद के प्रयोग न करने पर जानकारी दी गई। उपरोक्त शिविर हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार से सेवानिवृत्त कृषि वैज्ञानिक डॉ० जगदेव सिंह के तत्वावधान में हिन्दुस्तान गम एण्ड केमिकल्ज, भिवानी के ग्वार विशेषज्ञ डॉ० बी.डी. यादव के सहयोग से आयोजित किया गया। डॉ० जगदेव सिंह किसानों को सलाह दी कि किसी-भी फसल की बिजाई से पहले खेत की मिट्टी व पानी की जांच अवश्य करवाएं तथा खाद का उपयोग मिट्टी की जांच के आधार पर करें। गोष्ठी में किसानों से रूबरू होते हुए ग्वार विशेषज्ञ डॉ० बी.डी. यादव ने ग्वार की कम पैदावार होने में जडग़लन रोग को एक मुख्य कारण बताया। यह रोग ग्वार फसल में एक गम्भीर समस्या बनता जा रहा है। उखेड़ा रोग में 20 से 45 प्रतिशत खड़ी फसल मुरझाकर सूख जहाती है, जो कि जमीन क प्रकार पर भी निर्भर करती है। इस रोग की फंफूद जमीन के अन्दर पनपती है जो उगते हुए पौधों की जड़ पर आक्रमण करती है। इस बीमारी की रोकथाम केे लिए 3 ग्राम कार्बान्डिजम 50 प्रतिशत बेविस्टिन प्रति किलो बीज की दर से सूखा उपचारित करने के बाद ही बिजाई करें। बीजोपचार करने से इस रोग पर 80 से 95 प्रतिशत तक काबू पाया जा सकता है।

इस बीमारी की रोकथाम के लिए बीजोपचार ही एकमात्र हल है। ग्वार की बिजाई के लिए उन्नतिशील किस्में एच.जी. 365 तथा एच.जी. 2-20 ही प्रयोग करें। गोष्ठी के दौरान किसानों को सलाह दी गई कि मई महीन में ग्वार की बिजाई न करें। इस समय बिजाई करने से ग्वार की बढ़वार ज्यादा होगी तथा नीचे जो फलियां बनेंगी, उसमें बीज सिकुड़ जाएगा। सिंचित क्षेत्रों में जहां नहर का पानी उपलब्ध है, जून के पहले पखवाड़े में पानी लगाकर बिजाई कर सकते हैं। शिविर में 75 किसान मौजूद थे, जिन्हें एक-एक एकड़ की बीजोपचार की दवाई मुफ्त दी गई। इस अवसर पर गांव के सरपंच संतलाल, मिट्ठू राम, अजय, कश्मीरी लाल, ओमप्रकाश, विष्णु दत्त व देवीलाल सहित अन्य किसान मौजूद थे।