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दहरादूनः शहीद पिता को बेटी ने कुछ ऐसे दी आखिरी विदाई, हर शख्स की आंखें हुई नम

जम्मू कश्मीर के पुलवामा में बृहस्पतिवार को सीआरपीएफ जवानों पर हुए आतंकी हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ के एएसआई मोहन लाल को आज देहरादून में श्रद्धांजलि दी गई। इस दौरान उनकी बेटी ने नम आंखों के साथ अपने पिता को श्रद्धांजलि अर्पित की।

शहीद का शव पहुंचने पर गांव में हर शक्स की आंखों में आंसू था। उनकी बेटी ने नम आंखों के साथ अपने पिता को श्रद्धांजलि अर्पित की। देहरादून से शहीद एएसआई मोहन लाल के भतीजे सूर्यप्रकाश ने शुक्रवार सुबह फोन पर उनकी शहादत की सूचना परिजनों एवं ग्रामीणों को दी थी। सूचना मिलते ही पूरे गांव में शोक छा गया। शहीद का परिवार देहरादून में रहता है, शहीद की भाभी पूर्णमासी देवी ने बताया कि शहीद के पिता मंगलानंद रतूड़ी का आठ वर्ष पूर्व और माता जसोदा देवी का पांच वर्ष पूर्व ही निधन हुआ था। गांव का मकान आपदा में क्षतिग्रस्त होने के बाद मोहन बच्चों की पढ़ाई लिखाई के लिए परिवार को साथ लेकर देहरादून चले गए थे। आजकल वे गांव में अपना नया मकान बनवा रहे थे। उनकी बड़ी बेटी अनुसूया की तीन साल पहले ही पड़ोस के रौंतल गांव में शादी हो चुकी है, जबकि बड़ा बेटा शंकर, बेटी वैष्णवी, गंगा और छोटा बेटा राममूर्ति देहरादून में पढ़ाई कर रहे हैं। शहीद मोहन लाल अपने पीछे पत्नी सरिता देवी समेत भरापूरा परिवार छोड़ गए हैं।

शहीद मोहन लाल रतूड़ी के करीबी बनकोट निवासी प्यार सिंह, विनोद, राजेंद्र सिंह आदि ने बताया कि वे बहुत ही मिलनसार एवं धार्मिक प्रवृत्ति के थे। सेना में भर्ती होने से पहले वे गांव की रामलीला में भगवान राम का पात्र निभाते थे। देश सेवा की इच्छा के चलते वह पारंपरिक कृषि एवं पुरोहित कार्य छोड़कर सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे। बच्चों को पढ़ाई के लिए परिवार को देहरादून ले जाने के बावजूद उन्होंने गांव से नाता नहीं तोड़ा। आजकल वे गांव में अपना नया मकान बनवा रहे थे। इसकी देखरेख के लिए बीते दिसंबर में वे गांव आए थे। तब उन्होंने सेवानिवृत्ति के बाद गांव लौट कर खेती-बागवानी तथा समाजसेवा करने की इच्छा जताई थी।