कोराना संकट को देखते हुए दुनिया के ज्यादातर देशों में लॉकडाउन है। ऐसे में कच्चे तेल के दामों में 21 साल की सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली है। मिली जानकारी के अनुसार, कच्चे तेल के दाम 14 डॉलर प्रति बैरल आ गए हैं, जोकि 21 साल के बाद हुआ है।
एक साल पहले कच्चे तेल के दाम करीब 66 डॉलर प्रति बैरल थे, जबकि 6 महीने पहले 56 डॉलर प्रति बैरल और तीन महीने पहले 58 डॉलर प्रति बैरल हो गए थे। जबकि अब कच्चे तेल के दाम 14.7 डॉलर प्रति बैरल पर आ गए हैं।
दुनिया भर में 164,000 से अधिक लोगों की जान लेने वाली कोरोना महामारी की वजह से मांग में कमी आई है, जिसके बाद कच्चे तेल की कीमत नवंबर 2001 के बाद निचले स्तर पर पहुंच गई है। पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन और अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी की ओर से कमजोर ईंधन की खपत और गंभीर पूर्वानुमानों की रिपोर्ट के कारण तेल बाजार पर दबाव देखा जा रहा है।
एक लीटर कच्चे तेल के कीमत पानी की बोतल से भी नीचे पहुंच गई है। मौजूदा रेट के मुताबिक एक बैरल कच्चा तेल भारतीय रुपये में 1140 रुपये का पड़ रहा है। एक बैरल में 159 लीटर होते हैं। इस तरह से एक लीटर क्रूड का दाम 7.13 रुपये प्रति लीटर से भी कम पड़ रहा है। वहीं अगर, देश में पैकेज्ड पानी की एक बोतल का दाम देखें तो 20 रुपये है।
पिछले दिनों एक रिपोर्ट आई थी जिसमें ये अंदेशा जताया गया था कि अगर ओपेक प्लस देशों की बैठक लंबे समय के लिए टल जाती है तो कच्चे तेल की कीमत 10 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है। मांग में जबरदस्त गिरावट और अधिक तेल के स्टोरेज को लेकर पैदा हुई अनिश्चितताओं के चलते भाव में यह गिरावट आई है। .कच्चे तेल का ग्लोबल स्टोरज इस समय अपनी सीमा तक भर गया।