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CPEC के जरिए सामने आये चीन के इरादे, पाक को बनाना चाहता है ‘आर्थिक गुलाम’

china-pak_1494912856पाकिस्तान को सीपीईसी में सहयोगी बनाने के पीछे चीन का मकसद इस क्षेत्र में विकास को बड़े स्तर पर ले जाना ही नहीं है, बल्कि इसके जरिए ड्रैगन पाकिस्तान को अपना आर्थिक उपनिवेश बनाना चाहता है।
पाकिस्तान के अखबार डान में चीन द्वारा पाक को दिए गए सीपीईसी के लिए प्रपोजल का खुलासा हुआ है। इसके मुताबिक पाकिस्तान चीन को हजारों एकड़ कृषि योग्य भूमि चीन को लीज पर देगा, जहां चीन प्रदर्शनकारी योजनाओँ के साथा फाइवर ऑप्टिक्स सिस्टम भी लगाएगा। इस जमीन पर चीन को अपनी संस्कृति के प्रचार-प्रसार की भी सुविधा होगी।

सीपीईसी के जरिए अरब सागर में मौजूद बलूचिस्तान का ग्वादर बंदरगाह चीन के शहर झिंजियांग से बेहदर कनेक्टिविटी के जरिए जुड़ जाएगा। इस प्रपोजल से साफ तौर पर स्पष्ट है कि सीपीईसी के जरिए चीन पाक को एक आर्थिक कॉलोनी के रूप में विकसित करना चाहता है।

इस प्रपोजल में पाक को लुभाया गया है

चीन के इस प्रपोजल में पाक को लुभाया गया है, जिसके पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति में बड़ा परिवर्तन आएगा। सीपीईसी के जरिए पाक पर बढ़ने वाले चीन के प्रभाव से उसकी अखंडता पर खतरा पैदा हो सकता है जो सीधे तौर पर भारत पर असर डालेगा।

अगर चीन अपनी योजना के मुताबिक पाक पर अपना प्रभाव हासिल कर लेता है तो वो पूर्व की सीमाओं के साथ ही पश्चिम में भी भारत के नजदीक आ जाएगा। पाकिस्तान को चीन की तरफ से मिले सीपीईसी प्रपोजल में जो हजारों एकड़ जमीन दी जाएगी जिसमें चीन बीज किस्मों से लेकर सिंचाई प्रौद्योगिकी तक की परियोजनाओं का विकास करेगा।

वहीं कराची से लेकर पेशावर तक को सर्विलांस सिस्टम के जरिए मॉनीटर किया जाएगा। कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए सड़कों और व्यस्त बाजारों की 24 घंटे वीडियो रिकॉर्डिंग भी होगी।

पाकिस्तान में होगा चीन की संस्कृति का प्रसार

फाइवर ऑप्टिक्स को राष्ट्रीय स्तर पर रीढ़ की तरह इस्तेमाल किया जाएगा जो कि इंटरनेट ट्रैफिक को तो तेजी देगा ही इसके साथ ही टीवी के टेरिस्ट्रियल ब्रॉडकास्ट में भी इससे मदद मिलेगी। टीवी चैनलों पर चीनी मीडिया द्वारा चीन की संस्कृति का प्रसार भी किया जाएगा।

पाकिस्तानी सरकार इसे आर्थिक और कृषि आधारित विकास और लोगों के हितों में उठाया गए कदम का नाम दे रही है। हालांकि सीपीईसी को लेकर गिलगिट-बाल्टिस्तान और बलूचिस्तान मे विरोध हो रहा है।

यही वजह है कि गिलगिट बाल्टिस्तान के पीएम ने ओबीओआर के कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लिया था। डान की रिपोर्ट के मुताबिक इस प्रोजेक्ट में कहा गया है कि शुरुआत में चीन इन्फ्रास्ट्रक्चर और कृषि क्षेत्र में पाका का सहयोग करेगा और बाद में टेक्सटाइल इंडस्ट्री में भी पाक का सहयोग चीन की प्राथमिकता में शुमार है।

 

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