सीपीईसी के जरिए अरब सागर में मौजूद बलूचिस्तान का ग्वादर बंदरगाह चीन के शहर झिंजियांग से बेहदर कनेक्टिविटी के जरिए जुड़ जाएगा। इस प्रपोजल से साफ तौर पर स्पष्ट है कि सीपीईसी के जरिए चीन पाक को एक आर्थिक कॉलोनी के रूप में विकसित करना चाहता है।
अगर चीन अपनी योजना के मुताबिक पाक पर अपना प्रभाव हासिल कर लेता है तो वो पूर्व की सीमाओं के साथ ही पश्चिम में भी भारत के नजदीक आ जाएगा। पाकिस्तान को चीन की तरफ से मिले सीपीईसी प्रपोजल में जो हजारों एकड़ जमीन दी जाएगी जिसमें चीन बीज किस्मों से लेकर सिंचाई प्रौद्योगिकी तक की परियोजनाओं का विकास करेगा।
वहीं कराची से लेकर पेशावर तक को सर्विलांस सिस्टम के जरिए मॉनीटर किया जाएगा। कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए सड़कों और व्यस्त बाजारों की 24 घंटे वीडियो रिकॉर्डिंग भी होगी।
पाकिस्तानी सरकार इसे आर्थिक और कृषि आधारित विकास और लोगों के हितों में उठाया गए कदम का नाम दे रही है। हालांकि सीपीईसी को लेकर गिलगिट-बाल्टिस्तान और बलूचिस्तान मे विरोध हो रहा है।
यही वजह है कि गिलगिट बाल्टिस्तान के पीएम ने ओबीओआर के कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लिया था। डान की रिपोर्ट के मुताबिक इस प्रोजेक्ट में कहा गया है कि शुरुआत में चीन इन्फ्रास्ट्रक्चर और कृषि क्षेत्र में पाका का सहयोग करेगा और बाद में टेक्सटाइल इंडस्ट्री में भी पाक का सहयोग चीन की प्राथमिकता में शुमार है।