किसी को बुखार तो किसी को खराश, किसी को गले में दर्द तो किसी को तीनों परेशानियो से लोग जूझ रहे हैं। काफी लोगो को पेट में दर्द, जलन, पेट में मरोड़, डायरिया, उल्टी भी हो रही है। फिर भी हम RT-PCR जांच नहीं करवाना चाहते क्योंकि इस बार ऐसे इंफेक्शन में अस्पताल में भर्ती कराने की स्थिति बहुत कम ही देखी जा रही है। ऐसे में क्या जरूरी है? देश के जाने-माने एक्सपर्ट्स से बात करके जानकारी दे रहे हैं लोकेश के. भारती। किसी को इंफेक्शन से बचना हो या गले या पेट से जुड़ी परेशानी न हो, इसके लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। वैसे हैं तो ये पुरानी बातें लेकिन इन्हें फिर से संजीदगी के साथ याद करना जरूरी हो जाता है। कोरोना जब से आया है, तब से यह गया नहीं है। पहली लहर, दूसरी, तीसरी अब चौथी लहर की बात हो रही है। आगे शायद पांचवीं या छठी या इसके बाद भी लहर देखने को मिले। इसलिए कुछ बातों को नहीं भूलना चाहिए। इनमें से कुछ बातों को जिंदगी में ‘+’ (प्लस) और कुछ को ‘-‘ (माइनस) करना है।
- मास्क लगाएं और 5 फुट की दूरी बनाकर रखें।
- ‘+’ मौसमी फल जैसे तरबूज, खरबूज आदि जरूर खाएं।
- ‘+’ सलाद में खीरा खाएं। नीबू का सेवन भी करें।
- ‘+’ विटामिन-डी के लिए सुबह 7 से 10 बजे के बीच में 30 से 35 मिनट धूप में कम से कम कपड़ों में जरूर बैठें।
- ‘+’ घर का बना खाना खाएं। तेल-मसाला सामान्य रखें।
- ‘+’ हर दिन 6 से 8 घंटे की नींद पूरी करें। यह नींद अगर रात 10 या 11 से सुबह 5 से 6 बजे की बीच हो तो बेहतर है।
‘-‘ (माइनस) वाली बातें
- ‘-‘ सर्द और गर्म का ख्याल रखें। एसी से फौरन ही निकलकर गर्मी में न जाएं और गर्मी से आकर सीधे एसी में न बैठें। यानी ध्यान रखना है अंदर-बाहर के तापमान का अंतर 3 से 4 डिग्री से ज्यादा न हो। अमूमन एसी का तापमान 20 से 22 डिग्री सेल्सियस और बाहर का तापमान 30 से 40 डिग्री तक होता है। ज्यादा गर्मी बढ़ने पर बाहर का तापमान 40 डिग्री से भी ज्यादा हो जाता है।
- ‘-‘ फ्रिज का ठंडा पानी न पिएं या अगर पीना है तो घड़े के पानी जितना ठंडा करके यानी ठंडे पानी में आधा सामान्य पानी को मिला दें।
- ‘-‘ फिलहाल ठंडी चीजों जैसे आइस्क्रीम, कोल्ड ड्रिंक्स आदि से बचें।
- ‘-‘ बाहर का जूस, खासकर गन्ने का रस पीते समय बर्फ को हटवा दें। मुमकिन है कि बाहर जो बर्फ इस्तेमाल की जा रही है वह पुरानी हो। उसमें पहले से ही बीमार करने वाले बैक्टीरिया मौजूद हों।
- ‘-‘ बाहर की चीजें खाने से बचें। पित्जा, बर्गर, नूडल्स से अभी दूरी बनाना बेहतर है।
- ‘-‘ अगर गले में जरा-सी भी खराश होने लगे, शरीर में थकावट और हल्का बुखार महसूस हो तो ठंडी चीजें बिलकुल भी न खाएं।
इन्हें ज्यादा परेशान कर रहा है कोरोना
- जिन्होंने वैक्सीन की दोनों डोज नहीं ली है।
- जिन्हें पहले से कोई गंभीर बीमारी है। साथ ही, अगर उन्होंने वैक्सीन की दोनों डोज नहीं ली है। अब तो प्रिकॉशनरी डोज की जरूरत भी ऐसे लोगों को पड़ने लगी है।
- अगर शुगर और बीपी है, लेकिन ये काबू में नहीं हैं। सही तरीके से और सही समय पर दवा या इंसुलिन नहीं ले रहे।
- जो खानपान और सेहत का ध्यान नहीं रखते। शराब-तंबाकू लेते हैं।
- हेल्दी रुटीन फॉलो नहीं कर रहे यानी हर दिन 30 से 40 मिनट की वॉकिंग, एक्सरसाइज और 10 से 15 मिनट का योग नहीं कर रहे।
- अगर गंभीर बीमारी नहीं है, लेकिन किसी इंफेक्शन या कोई दूसरी शारीरिक परेशानी की वजह से आजकल जिनकी इम्यूनिटी कुछ कमजोर हुई है।
वायरस जिस अंग में, इंफेक्शन वैसा
चाहे किसी को बुखार हो या खराश। किसी को पेट से जुड़ी परेशानी हुई हो। ऐसी समस्याएं किसी सामान्य से वायरस की वजह से हुई हों या फिर ओमिक्रॉन या नए XE वेरियंट की वजह से। वैसे भी XE वेरियंट ओमिक्रॉन से ही बना है। हमें इस बात में नहीं पड़ना है कि इंफेक्शन किस वायरस से हुआ है। यह सरकार का काम है कि वह जीनोम सीक्वेंसिंग के द्वारा देखे कि किस तरह के वायरस की वजह से इंफेक्शन हुआ है। कोरोना के सभी तरह के वायरसों के लिए फिलहाल इलाज
आइसोलेशन के दौरान यह रखें ध्यान…
- खुद को एक कमरे तक सीमित कर दें।
- किसी के करीब बैठने से बचें।
- बैठना मजबूरी हो तो मास्क लगाकर रखें।
- अगर बार-बार छींक या खांसी आए तो मुंह पर रुमाल रखें।
- अगर मुमकिन हो तो बाथरूम भी अलग रखें। अगर संभव न हो तो जितनी बार बाथरूम जाएं, फिनाइल डाल दें।
- डॉक्टर की मदद से इलाज करवाते रहें। चूंकि अभी भी कोरोना का कोई सटीक इलाज नहीं है, सिर्फ लक्षणों का ही इलाज किया जाता है। ये लक्षण किसी भी वजह से पनपे हों, इलाज का तरीका अमूमन एक जैसा ही होता है। यह लक्षणों की गंभीरता पर निर्भर करता है।