शपथ ग्रहण के 17 वें दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में नई सरकार की पहली कैबिनेट बैठक लोकभवन में हुई। इसमें कर्जमाफी के वादे पर मुहर लगा दी गई।
कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि पिछले सालों में सूखा, ओलावृष्टि व बाढ़ से किसानों का काफी नुकसान हुआ था। विधानसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए कैबिनेट की पहली बैठक में ही कर्जमाफी कराने का वादा किया था।
कर्ज न चुका पाने वाले सात लाख किसानों को भी माफी
सात लाख किसान ऐसे हैं जिन्होंने ऋण लिया लेकिन वह नॉन परफार्मिंग एसेट (एनपीए) बन गया। यह रकम 5630 करोड़ रुपये है। इन किसानों को बैंकों ने फसली ऋण देना बंद कर रखा है।
ऐसे किसानों को मुख्य धारा में लाने के लिए सरकार ने एनपीए की पूरी रकम एकमुश्त समाधान (ओटीएस) केरूप में माफ करने का फैसला किया है। इस फैसले से ये किसान फिर से बैंकिंग सेवाओं का लाभ ले सकेंगे।
इसके लिए विधानमंडल की मंजूरी ली जाएगी। ऐसे में सरकार सत्र बुलाने में ज्यादा देर नहीं करेगी। उन्होंने बताया कि राज्य का राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का तीन प्रतिशत रह सकता है। बांड लाने से यह सीमा बढ़ेगी इसके लिए विधानमंडल की अनुमति ली जाएगी।
सहकारी समेत किसी भी बैंक से लिए कर्ज पर पा सकेंगे फायदा
2.5 एकड़ तक के सभी किसान सीमांत किसान की श्रेणी में आएंगे। इस तरह दो हेक्टेयर अर्थात पांच एकड़ तक केसभी किसान लघु किसान माने जाएंगे। प्रारंभिक गणना के मुताबिक प्रदेश में ऐसे 86.88 लाख लघु व सीमांत किसान हैं जिन्होंने बैंकों से फसली ऋण लिया हुआ है। सहकारी सहित किसी भी बैंक से फसली ऋण लेने वाले किसान कर्जमाफी का फायदा पाएंगे।