Breaking News

आवश्यक सूचना: प्रदेश जागरण के सभी निर्गत परिचय पत्र निरस्त किये जा चुके हैं | अगस्त 2022 के बाद के मिलने या दिखने वाले परिचय पत्र फर्जी माने जाएंगे |

मुख्य सचिव और डीजीपी ने काशी विश्वनाथ मंदिर का किया निरीक्षण

 

वाराणसी। श्रावण मास के 17 जुलाई से 15 अगस्त तक होने के दौरान श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में आने वाले दर्शनार्थियों को बेहतर सुविधा देने के लिए प्रदेश सरकार गम्भीर हैं।

शुक्रवार को सावन की तैयारियों का जायजा लेने के लिए मुख्य सचिव अनूप चंद्र पांडेय और प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश सिंह शहर में आये। प्रदेश के दोनों आला अफसरों ने कमिश्नरी सभागार में समीक्षा बैठक की। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर का निरीक्षण कर तैयारियों को परखा।

बैठक में पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने मंदिर और आसपास सुरक्षा व्यवस्था को चाक चौबन्द रखने पर खासा जोर दिया। उन्होंने शिवभक्तों के सुविधा और दर्शन पूजन में आसानी रहे बैरिकेडिंग आदि के बारे में विस्तार से जानकारी लेकर अफसरों को आवश्यक दिशा निर्देश दिया। बैठक में तय हुआ कि मंदिर के चार द्वार में तीन द्वार पूर्वी, पश्चिमी और दक्षिणी से दर्शन पूजन करेंगे। वहीं, चौथे उत्तरी द्वार से वीवीआईपी को मंदिर में दर्शन पूजन के लिए प्रवेश दिया जाएगा।

बैठक में अफसरों ने बताया कि मंदिर के आस-पास मजबूत बैरिकेडिंग कराई जा रही है। प्रतिवर्ष की भांति प्रयागराज से वाराणसी रूट पर यातायात प्रतिबंधित रहेगा। बैठक में अफसरों ने मंदिर परिसर एवं आसपास 24 घंटे चाक चौबंद सफाई व्यवस्था, आठ-आठ घंटे शिफ्ट में ड्यूटी लगाई जाए। गोदौलिया, मैदागिन, चितरंजन पार्क सहित मंदिर के पास एंबुलेंस चिकित्सक दवाओं की उपलब्धता पर खासा जोर दिया। अफसरों ने सावन के सोमवार पर अतिरिक्त सुरक्षा व्यवस्था के लिए दिशा निर्देश दिया।

उल्लेखनीय है कि सावन माह के सोमवार और उसकी पूर्व संन्ध्या पर काशी विश्वनाथ मंदिर में लाखों शिवभक्त और कावड़िये जलाभिषेक के लिए आते हैं। दर्शन के पूर्व गंगा में स्नान कर गंगा जल लेकर बाबा दरबार में पहुंचते हैं। सावन में बरसात के कारण गंगा के जलस्तर में बढ़ाव देख शिवभक्तों की सुरक्षा और उन्हें डुबने से बचाने के लिए जिला प्रशासन पूरी तैयारी करता है। सावन माह में शहर की यातायात इंतजाम को नियंत्रित करने के लिए भी खास रोड मैप तैयार किया जाता है, जिस पर प्रतिवर्ष डीजीपी और मुख्य सचिव मोहर लगाते हैं और खुद यहां आकर कमिश्नर, एडीजी जोन, आईजी, डीआईजी, जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मंदिर प्रशासन से जुड़े अफसरों के साथ बैठक कर आवश्यक दिशा निर्देश देते हैं।