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प्याज के बढ़ते दामों पर अखिलेश का भाजपा पर तंज, बोले हवाई जहाज से ही ले आएं विदेश से

 

 

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने देश भर में प्याज के दामों में वृद्धि को लेकर केन्द्र सरकार पर तंज कसा। उन्होंने सोमवार को ट्वीट किया कि भाजपा सरकार में प्याज की कीमत बढ़ रही है और बैंकों में जमा पर ब्याज की दर घट रही है। मतलब न आज की व्यवस्था है न कल की सुरक्षा।

अखिलेश ने कहा कि साप्ताहिक विदेश-भम्रण पर जाने वाले अगर वापस आते समय अपने जहाज में विदेश से प्याज ही लेते आया करें तो विदेश-यात्राओं से देश और जनता का कुछ तो भला हो।

दरअसल प्याज की कीमतों में काफी समय से उछाल आया हुआ है। मंडियों में प्याज की आवाक में कमी होने के कारण स्टॅाक में कमी से प्याज के दामों में बढ़ोतरी बनी हुई है। कारोबारियों का कहना है कि बीते वर्ष प्याज का बहुत कम उत्पादन हुआ था। इसलिए इसमें बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। बेमौसम बारिश की वजह से भी प्याज की फसल प्रभावित हुई है।

प्रदेश में प्याज की बढ़ती कीमतों से निपटने के लिए सरकार ने बीते अक्टूबर माह में ग्राहकों को सस्ती दर पर प्याज उपलब्ध कराने के लिए विक्रय केंद्र खोलने का फैसला किया था। इनमें 39 रुपये प्रति किलो के हिसाब से प्याज बेचा गया। राजधानी में इससे थोड़ी राहत मिली लेकिन बाकी जगह स्थिति वैसी ही बनी रही। वहीं राजधानी में भी कुछ समय तक स्थिर रहने के बाद प्याज के दाम दोबारा चढ़ने लगे हैं।

राजधानी सहित अधिकतर खुदरा मंडियों में प्याज के दाम 100 रुपये किलो तक पहुंच गया है। थोक मंडियों में भी प्याज 80 रुपये किलो से कम कीमत पर नहीं मिल रहा है। आढ़तियों के मुताबिक महाराष्ट्र की मंडियों में प्याज महंगा है और स्थानीय फसल का स्टॉक खत्म हो गया है। नई फसल आने तक कम से एक महीने तक दामों की कमी की संभावना नहीं है।

स्थिति को देखते हुए केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने कहा है कि सरकार ने प्याज की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए एक लाख टन प्याज के आयात का फैसला लिया है। एमएमटीसी 15 नवम्बर से 15 दिसम्बर के बीच आयातित प्याज देश में वितरण के लिए उपलब्ध कराएगा और नेफेड को देश के हर हिस्से में प्याज का वितरण करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

इससे पहले सरकार ने घरेलू बाजार में प्याज की आपूर्ति सुधार के लिए धूम्र-उपचार (फ्यूमिगेशन) सहित कई नियमों को 30 नवम्बर तक लचीला करने का ऐलान किया था। इसके साथ ही चार देशों अफगानिस्तान, इजिप्ट, तुर्की और ईरान से आयात करने का फैसला लिया गया था।