इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक, ईद उल अजहा का पर्व 12वें महीने की 10 तारीख को मनाया जाता है और रमजान महीने के खत्म होने के 70 दिन बाद ईद उल अजहा आता हैं। इस बार 10 जुलाई को ये पर्व है। ईद उल अजहा को बकरीद के पर्व के नाम से भी जाना जाता हैं। ये कुर्बानी का दिन है। इस दिन बकरे की कुर्बानी दी जाती है।सभी धर्मों के लोग आपसी भाईचारे के साथ बकरीद के त्योहारों को उत्साह से मनाते हैं। इस्लाम धर्म का यह दूसरा सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है। आज लोग नमाज़ अदा करने के बाद एक दूसरे से गले लग कर शुभकामनाएं देते हैं।लोग अपने दोस्तों, परिजनों के घर जाते हैं, जहां बकरीद के ढेरों पकवान बनाये जातें है। आज ईद-उल अजहा यानी बकरीद के पाक मौके पर परिजनों, दोस्तों को खास बधाई संदेशों के जरिए मुबारकबाद दीजिए।
1. बकरीद पर जिस जानवर की कुर्बानी दी जाती है उसकी उम्र एक वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए। कमजोर, बीमार या लंगड़े जानवर की कुर्बानी देने से बचना चाहिए। कुर्बानी के जानवर की आंख, कान, पांव और सींघ सही सलामत होने चाहिए।
2. बकरीद के मौके पर हर मुसलमान जानवर की कुर्बानी देता है. कुर्बानी में इस्तेमाल होने वाले हथियार जैसे कि छुरा या चाकू खुले में ना रखें। सार्वजनिक रूप से कुर्बानी करने से बचें।
3. इस्लाम धर्म में कुर्बानी के लिए ईद का दिन सबसे अच्छा माना गया है। यदि आप किसी वजह से ईद पर कुर्बानी नहीं दे पा रहे हैं तो तीन दिन बाद तक कुर्बानी दी जा सकती है।