नई दिल्ली । केंद्र सरकार जल्द ही विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआइपीबी) को खत्म करने के मामले में फैसला कर लेगी। केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि विदेशी निवेश के प्रस्तावों को मंजूरी देने वाली 25 साल पुरानी इस संस्था के संबंध में केंद्रीय कैबिनेट में शीघ्र ही निर्णय हो जाएगा।
अपने मंत्रालय की तीन साल की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए सीतारमण ने कहा कि सरकार सैद्धांतिक तौर पर एफआइपीबी को बंद करने का फैसला कर चुकी है। वित्त मंत्री अरुण जेटली 2017-18 के बजट में भी इसका एलान कर चुके हैं। अब केवल कैबिनेट में इस प्रस्ताव पर मुहर लगना बाकी है। हालांकि एफआइपीबी के बाद आने वाली व्यवस्था का कोई खाका सरकार ने पेश नहीं किया है।
एफआइपीबी खत्म होने के बाद विदेशी निवेश के प्रस्तावों को मंजूरी देने का तंत्र क्या होगा, यह तय होना अभी बाकी है। वर्ष 1990 में देश में आर्थिक सुधारों की शुरुआत होने पर एफआइपीबी को प्रधानमंत्री कार्यालय के तहत गठित किया गया था। फिलहाल विदेशी निवेश के जिन प्रस्तावों को मंजूरी की आवश्यकता होती है उनमें रक्षा और रिटेल ट्रेडिंग शामिल हैं।
एफआइपीबी खत्म होने के बाद सरकार इस व्यवस्था को संबंधित मंत्रालय पर ही छोड़ देना चाहती है। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की और उदार नीति के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि सरकार एफडीआइ में निवेश को आसान बनाने के लिए कई बड़े कदम उठा चुकी है।