उन्होंने कहा कि ये बढ़ोत्तरी इंफोसिस की निष्पक्षता के खिलाफ है। जहां सामान्य कर्मचारियों को 6-7 फीसदी ही वृद्धि मिली ऐसे में कंपनी के शीर्ष पर बैठे व्यक्ति को इतनी वृद्धि देना मेरे विचार से सही नहीं है।
उन्होंने मीडिया को मेल के माध्यम से बताया कि प्रवीण को लेकर मेरे मन में कोई द्वेष भावना नहीं है। मैंने ही 1985 में प्रवीण की नियुक्ति की थी। जब उसे साइडलाइन कर दिया गया तो मैंने उसे आगे बढ़ाया और सीओओ बनाया। मैंने हमेशा उसे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
उन्होंने कहा कि मैं कर्मचारियों को समानता देने का पक्षधर हूं। मैं कर्मचारियों के काम की हिस्सेदारी और उनकी सैलरी के बीच का अंतर मिटाना चाहता हूं। इंफोसिस की स्थापना के दौरान मेरी सैलरी केवल 10% की बढ़ोत्तरी पर थी। जबकि मैंने अपने जूनियर कर्मचारियों को 20 फीसदी की बढ़ोत्तरी दी। उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं छोटे कर्मचारियों को भी समान हिस्सेदारी और तरक्की मिले।
आपको बता दें कि फरवरी में प्रवीण राव की सैलरी बढ़ाकर 4.60 करोड़ कर दी गई थी। इससे पहले फरवरी में भी नारायणमूर्ति ने निदेशक मंडल से शिकायत की थी कि कंपनी के अंदर कार्पोरेट गवर्नेंस के मानकों का पालन नहीं हो रहा है। इसके अलावा उन्होंने सीईओ विशाल सिक्का की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि सिक्का की कार्यप्रणाली से कर्मचारी नाखुश हैं और उनसे शिकायत कर रहे हैं।