राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी ने यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा कि व्यक्ति की औसत आयु अब 70 वर्ष हो गई है। इसीलिए ज्यादातर सरकारी सेवाओं में नौकरी के लिए आवेदन की अधिकतम आयु की सीमा 40 वर्ष तक बढ़ाई जा चुकी है। इस पर विचार न कर सरकार ने कर्मचारियों को 50 वर्ष पर ही अक्षम व अयोग्य मानते हुए अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का फरमान जारी कर दिया।
सरकार के इस निर्णय से लाखों कार्मिक खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। कहा, जिस तरीके से 31 जुलाई तक कार्मिकों की स्क्रीनिंग करके रिटायर करने वाले कर्मचारियों की सूची तैयार करने का निर्देश दिया गया है, उससे पूरी प्रक्रिया पर सवाल खड़ा हो रहा है। मात्र 20 दिनों में 18 लाख कर्मचारियों की स्क्रीनिंग कैसे हो पाएगी।
ऐसा लगता है कि यह आदेश कर्मचारियों के उत्पीड़न और शोषण के लिए किया गया है। कहा कि सरकार आईएएस, आईपीएस एवं पीसीएस अधिकारियों के साथ ऐसा क्यों नहीं करती। उन्हें तो अक्षम, लापरवाह एवं अयोग्य होने पर अनिवार्य सेवानिवृत्त नहीं करती।
यही नहीं, चिकित्सकों की मंशा के विपरीत उनकी सेवानिवृत्ति की अवधि बढ़ाकर 62 वर्ष कर देती है। पर, कर्मचारियों के मामले में उल्टा किया जा रहा है। उन्हें 50 पार जबरन रिटायर करने का फरमान जारी कर दिया गया। यह भी तय कर लिया गया कि इसका कारण बताने की भी जरूरत नहीं है।
कहा कि मुख्य सचिव का आदेश तुगलकी फरमान है। सरकार इसे वापस कराए। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के समन्वयक भूपेश अवस्थी, महामंत्री शिवबरन सिंह यादव और वरिष्ठ उपाध्यक्ष यदुवीर सिंह ने भी मुख्य सचिव के आदेश का विरोध किया है।
कर्मचारी संगठन अगर शांत बैठे रहे और इस आदेश के विरुद्ध एकजुट न हुए तो वह दिन दूर नहीं कि जब 50 साल से ऊपर के कर्मचारी जबरन रिटायर कर दिए जाएंगे। तिवारी ने कहा कि उन्होंने 30 जुलाई को सभी कर्मचारी संगठनों की बैठक बुलाई है। इससे एकजुट होकर इस मुद्दे पर सरकार से लड़ा जा सके।
जबरिया सेवानिवृत्ति से निजीकरण को बढ़ावा
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के एक गुट की बैठक सुरेश रावत की अध्यक्षता में हुई। महामंत्री अतुल मिश्र ने बताया कि बैठक में मुख्य सचिव के आदेश पर कड़ी नाराजगी जताई गई। साथ ही कहा गया कि मुख्य सचिव सरकारी कर्मचारियों को जबरन सेवानिवृत्ति देकर निजीकरण को बढ़ावा देने में जुटे हैं। इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।
इस आदेश के नाम पर अगर किसी भी कर्मचारी का उत्पीड़न हुआ तो कर्मचारी एकजुट होकर उसके विरोध में सड़कों पर उतरेंगे। बैठक में कर्मचारी नेता केके सचान, डिप्लोमा फार्मेसिस्ट एसोसिएशन के गिरीश चंद्र मिश्र, रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद के मनोज राय, गन्ना पर्यवेक्षक संघ के आशीष पांडेय, वन कर्मचारी फेडरेशन के सुनील यादव, समाज कल्याण कर्मचारी संघ के बीएन मिश्र भी शामिल थे।
बिजली निगमों में हड़ताल पर रोक और जबरिया सेवानिवृत्ति आदेश कर्मचारियों में दहशत फैलाने की कोशिश है। ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे, उप्रराविप अभियंता संघ के अध्यक्ष जीके मिश्र, महासचिव राजीव सिंह एवं वरिष्ठ उपाध्यक्ष राम प्रकाश ने कहा कि जबरिया सेवानिवृत्त करने का कोई ठोस मापदंड नहीं है। यह पूरी तरह अन्यायपूर्ण व मनमानी प्रक्रिया है, जिसका हर स्तर पर प्रबल विरोध किया जाएगा।
स्क्रीनिंग के फैसले से कर्मचारी नाराज
लखनऊ। 50 साल के ऊपर के राज्य कर्मचारियों की स्क्रीनिंग कराने के प्रदेश सरकार के फैसले की उप्र. सरकार स्टेनोग्राफर्स महासंघ ने कड़ी निंदा की है। महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पांडेय ने कहा कि कर्मचारियों की कार्य कुशलता में कोई कमी नहीं, बल्कि प्रदेश में करीब सभी संवर्गों में रिक्त हजारों पद न भरने से कर्मचारियों के ऊपर काम का अत्यधिक बोझ है।