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निर्दोषों पर गिरी गाज, असल दोषी की वसूली बरकरार

देव श्रीवास्तव
लखीमपुर-खीरी।

प्रदेश में योगी सरकार आने के बाद गोकसी व गोवंशीय पशुओं की तस्करी जैसे मामले सामने आने पर अक्सर तनाव की स्थित बन जाती है। ऐसी स्थिति से निबटने व सरकार के कहर से बचने के लिए पुलिस अधिकारियों पर जल्द से जल्द स्थिति सामान्य करने का दबाव होता है। लेकिन अब यह दबाव अधिकारियों को इस कदर मानसिक तनाव दे रहा है कि कोई घटना घटने पर बगैर जांच किए ही निर्दोषों को सस्पेंड या लाइन हाजिर कर दिया जाता है और दोषी अवैध वसूली करता घूमता है। ऐसा ही मामला नजर आया पसगवां थाना क्षेत्र अंतर्गत उचौलिया चौकी क्षेत्र में। यहां खुलेआम जानवरों से भरी वाहनों से वसूली करने वाले सिपाही सुशील यादव को अधिकारियों ने अभयदान दे दिया वहीं दो अन्य सिपाही जिनका मामले से लेना-देना भी नहीं था लाइन हाजिर कर दिया गया था। विभाग मामले में जांच कर कार्रवाई की बात कह रहा है। 

  IMG-20170614-WA0016_resized तस्करी में वसूली को लेकर लाइन हाजिर

आपको बता दें कि 8 जून 2017 को एसपी खीरी द्वारा कांस्टेबल वरुण सिंह व अंकित तिवारी को जानवरों की तस्करी में वसूली को लेकर लाइन हाजिर कर दिया गया था। प्रत्यक्षदर्शियों ने इस कार्रवाई पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि गोवंशीय पशुओं की तस्करी के बदले इस दिन वसूली उचौलिया चौकी का कांस्टेबल सुशील यादव कर रहा था। वरुण सिंह और अंकित तिवारी इस दौरान मौके पर थे भी नहीं। एक प्रत्यक्षदर्शी ने उस दिन सुशील यादव द्वारा की जा रही वसूली को भी कैमरे में कैद किया था। जिसे उसने बतौर सुबूत पत्रकार को सौंपा। घटना के बाद क्षेत्र में तनाव का माहौल बन गया था। इस माहौल के बारे में जब एसपी व एएसपी को जानकारी हुई तो उन्होंने मौके की नजाकत को देखते हुए बिना जांच कांस्टेबल वरुण सिंह व अंकित तिवारी को लाइन हाजिर कर दिया। जब इस कार्रवाई की जानकारी स्थानीय लोगों को हुई तो उन्होंने अपना आक्रोष जताया और वास्तविक दोषी के विरुद्ध की मांग की। उच्चाधिकारियों ने मौके की नजाकत को देखते हुए जांच के आदेश दे दिए। जांच के दायरे में फंसे वरुण सिंह व अंकित तिवारी को बुधवार एसपी आफिस में तलब किया गया। दोनों ही कांस्टेबल ने कप्तान के सामने मामले से जुड़े तथ्य रखे। परंतु इन सभी तथ्यों को दबाव के चलते नजरअंदाज कर दिया गया। प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो कांस्टेबल सुनील यादव लम्बे समय से ऐसे मामलों से जुड़ा रहा है। दिन हो या रात वसूली में लिप्त रहने वाले सुनील यादव का इस बात से कोई लेना-देना नहीं रहा कि शासन व उच्चाधिकारियों के निर्देश क्या हैं? सुनील यादव द्वारा वसूली किए जाने की फोटो भी पत्रकार को प्रत्यक्षदर्शियों ने दी है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि ऐसे क्या कारण हैं जो विभागीय अधिकारी बिना किसी जांच मामले से निबटने के लिए निर्दोष सिपाहियों पर गाज गिराने में गुरेज नहीं कर रहे हैं। 
  इस बावत एएसपी ने बताया कि वरुण सिंह व अंकित तिवारी पर कार्रवाई दुर्व्यवहार करने के चलते हुई थी। गोतस्करों से वसूली के मामले में कार्रवाई की बात कहा जाना गलत है। वहीं कांस्टेबल सुनील यादव की बावत कहा कि मामला संज्ञान में आने पर जांच के बाद कड़ी कार्रवाई की जाएगी। 

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