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डेंगू की समस्या से हैं परेशान, ऐसे करें घरेलू उपचार … ये है रामबाण…

डेंगू का मच्छर जब किसी इंसान को काटता है, तो मच्छर के खून में मौजूद डेंगू का वायरस उस इंसान के शरीर में पहुंच जाता है और उसे बीमार बनाना शुरू कर देता है।

 ये वायरस शरीर में कई अंगों को नुकसान पहुंचाते हैं और बॉडी फंक्शन्स को रोकते हैं, जिसके कारण मरीज के शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या कम होने लगती है।

मगर मरीज के शरीर में प्लेटलेट्स का स्तर बढ़ाने के लिए खानपान का ही सहारा लेना पड़ता है। गिलोय की पत्तियों और पपीते को डेंगू के उपचार में बहुत फायदेमंद माना जाता है, क्योंकि ये दोनों ही चीजें मरीज के शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या बढ़ाती हैं। आइए हम आपको बताते हैं कैसे करें इनका इस्तेमाल।

रेड लेडी पपीते के पेड़ की पत्तियां

इसके इलाज के लिए भारत में पाए जाने वाले रेड लेडी पपीते के पेड़ की पत्तियां अधिक प्रभावशाली होती हैं। पूरे लाभ के लिये ऐसे पत्तों का इस्तेमाल करना चाहिए जो न ज्यादा नए हो और न ही ज्यादा पुराने। इस्तेमाल के लिये सबसे पहले पत्तों को साफ पानी से धोएं।

इसके बाद लकड़ी की ओखली में पत्तों को बिना पानी, नमक या चीनी डाले कूटें, और फिर कुटी हुई पत्तियों से जूस निकालकर दो बार दिन में पियें। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, वयस्क को दिन में दो बार 10 एमएल जूस पीना चाहिए और 5 से 12 साल के बच्चे को दिन में दो बार 2.5 एमएल तक इसका जूस देना चाहिए।

गिलोय

वही आयुर्वेद विशेषज्ञों के अनुसार गिलोय एक रसायन है, यह रक्तशोधक, ओजवर्धक, ह्रुदयरोग नाशक, शोधनाशक और लीवर टॉनिक भी है। यह पीलिया और जीर्ण ज्वर को ठीक करती है करती है। गिलोय एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है, डेंगू में भी इसके पच्चों के रस का सेवन लाभदायक होता है। गिलोय (टीनोस्पोरा कार्डीफोलिया) की एक बहुवर्षीय लता होती है। डेंगू के कारण 5 से 6 दिन के अंदर यह बुखार अपना असर दिखाना शुरू करता है।

इसमें शरीर के रक्त में तेजी से प्लेटलेट्स का स्तर कम होता है। गिलोय और 7 तुलसी के पत्तों का रस पीने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। यह रक्त के प्लेटलेट्स का स्तर भी बढ़ाता है। गिलोय की कड़वाहट को कम करने के लिए इसे किसी अन्य जूस में मिलाकर पी सकते हैं।