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फर्जी दस्तावेजों पर नौकरी कर रहे 11 शिक्षकों की सेवा समाप्त

 

 

मीरजापुर। सूबे के आगरा स्थित डॉ. अम्बेडकर विश्व विद्यालय से 2005 में बीएड उत्तीर्ण कर जिले के बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में नियुक्त 11 अध्यापकों की शनिवार को सेवा समाप्त कर दी गई है। इन सभी पर आरोप है कि इनकी बीएड की अंक तालिका फर्जी है।

प्रयागराज हाईकोर्ट के आदेश पर पुलिस की एसआईटी शाखा ने जांच कर मामले फर्जी पाया। एसआईटी की जांच के बाद जिले के बेसिक शिक्षा विभाग को उपलब्ध कराई गई सूची के आधार पर बीएसए प्रवीण कुमार तिवारी ने आरोपितों की नियुक्ति प्रारंभ काल से ही शून्य घोषित करने का निर्णय सुनाया। बीएसए ने बताया कि पुलिस की विशेष शाखा (एसआईटी) लखनऊ की ओर से दिये गए फर्जीवाड़ा करने वाले शिक्षकों की सूची में दर्ज नामों को पर्याप्त अवसर दिया गया। ताकि यदि वह अपने समर्थन में कुछ अभिलेख प्रस्तुत करना चाहते हैं तो करें। लेकिन तीन-तीन बार मौका दिये जाने जाने के बावजूद किसी भी आरोपित ने बीएसए कार्यालय तक आना गवारा नहीं समझा।

इसके बाद सभी की नियुक्ति शून्य घोषित के लिए बाध्य होना पड़ा। फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर 2011 में नियुक्ति पाने में सफल रहे। लगभग आठ साल तक बेखौफ नौकरी का लुत्फ उठाया। नौ ने जिले के बाहर नियुक्ति पायी बाद में तबादला करवा कर अपने जनपद में आ गये। वहीं, दो ऐसे शिक्षक हैं जिन्होंने चकमा देते हुए अपने जिले में नियुक्ति पायी। अध्यापक तैनाती नियमावली के अनुसार प्रमोशन भी लिया।

इनकी शून्य घोषित की गई नियुक्ति

सेवा समाप्त किये गए कथित शिक्षकों में मनोराम सिंह सहयक अध्यापक मुस्किरा ब्लॉक पटेहरा, जमालपुर ब्लॉक के मठना स्थित प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापिका रामदुलारी देवी, सहायक अध्यापक पूर्व माध्यमिक विद्यालय जमुई मड़िहान, रितु सिंह, सहायक अध्यापक यूपीएस लहास राजगढ़ दिव्या सिंह, सहायक अध्यापक रामनगर यूपीएस पहाड़ी शशिलता सिंह, यूपीएस खानपुर सीखड़ अर्चना सिंह,पीएस पिड़खिड़ जमालपुर की प्रधाध्यापिका मालती सिंह, पीएस ममोलापुर नरायनपुर के प्रधानाध्यापक सत्य कुमार सिंह, पीएस चपगहना पहाड़ीकी सहायक अध्यापिका अर्चना कुशवाहा, यूपीएस केवटाबीर मझवां उमेश चंद्र सिंह, पीएस महेशपुर हलिया के प्रधानाध्यापक रमाशंकर सिंह शामिल हैं।

यह है पूरा मामला

दरअसल वर्ष-2005 में डॉ. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय आगरा की टेम्पर्ड अंक तालिका के आधार पर बेसिक शिक्षा विभाग में अध्यापक पद पर कुछ लोग प्रदेश के विभिन्न जिलों में नियुक्ति पाने में सफल रहे। इसी बीच सुनील कुमार बनाम डॉ. अम्बेडकर विश्वविद्यालय याचिका के आधार पर प्रयागराज उच्च न्यायालय के आदेश पर मुख्यालय अपर पुलिस महानिदेशक विशेष अनुसंधान (एसआईटी) लखनऊ ने जांच की। एसआईटी की जांच में ही दूध का दूध पानी-पानी हो गया।

इस मामले में बीएसए प्रवीण कुमार तिवारी ने 11 कथित शिक्षकों की सेवा समाप्ति के पर कहा बुरे काम का बुरा नतीजा। बीएसए ने साथ में यह भी जोड़ा कि 2010 के बाद शिक्षक पद पर हुई नियुक्ति की जांच की जा रही है। कुछ और भी नटवर लाल निकलने से इनकार भी नहीं किया।