नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने सीबीएसई को निर्देश दिया है कि वह 10वीं और 12वीं के छात्रों से वसूली गई एग्जाम फीस को वापस किये जाने की मांग पर विचार करे। जस्टिस प्रतीक जालान ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि अगर वह सीबीएसई के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं तो दोबारा कोर्ट आ सकते हैं।
सुनवाई शुरू होते ही जस्टिस जालान ने कहा, मैं ये साफ़ कर दूं कि मेरा बेटा क्लास 12 का छात्र है। इस केस में अगर राहत मिलती है तो मुझे सीधा फायदा होगा। क्या आप चाहते हैं कि दूसरी बेंच सुनवाई करे। तब सीबीएसई और सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि अगर यही बेंच सुनवाई करती है तो उन्हें कोई एतराज नहीं है, किसी दूसरी बेंच के पास मामला ले जाने की ज़रूरत नहीं।
यह याचिका दीपा जोसेफ ने दायर की थी। याचिकाकर्ता की ओर से वकील रॉबिन राजू ने कहा कि सीबीएसई परीक्षा फीस वापस करे क्योंकि उसके लिए कोई खर्च ही नहीं हुआ। तब कोर्ट ने कहा कि बिल्कुल खर्च नहीं हुआ होगा ऐसा नहीं है लेकिन अगर वो परीक्षा लेते तो जितना खर्च होता उससे काफी कम खर्च हुआ होगा। तब सीबीएसई की ओर से वकील रुपेश कुमार ने कहा कि ये याचिका उसका निदान नहीं है।
कोर्ट ने सीबीएसई से कहा कि आपने परीक्षा के लिए फीस ली है जो रद्द हो गई है। ये जरूर है कि मूल्यांकन पर खर्च होगा। तब रुपेश कुमार ने कहा कि सीबीएसई स्ववित्तीय संस्था है। इसे सरकार से फंड नहीं मिलता है। सीबीएसई का पूरा खर्च ही परीक्षा फीस पर निर्भर है। परीक्षा के अलावा हमें इंफ्रास्ट्रक्चर को बनाये रखने पर भी खर्च करना होता है। तब कोर्ट ने कहा कि अगर आपने परीक्षा नहीं ली है तो आपका कुछ सालाना पैसा जरुर बचा होगा। तब सीबीएसई ने कहा कि सारी तैयारियां पहले ही हो चुकी थीं। परीक्षा रद्द करने का फैसला काफी बाद में लिया गया। तब कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि आप सोचिए कि सीबीएसई अभी भी आपके बच्चे का मूल्यांकन कर रहा है। इसे मार्कशीट जारी करना है। इसलिए ये कहना गलत है कि सीबीएसई ने कोई खर्च नहीं किया है।