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सातवें वेतनमान पर कर्मचारी संगठनों में दरार

भोपाल। राज्य के कर्मचारियों को सातवां वेतनमान दिलाने के लिए मप्र अधिकारी-कर्मचारी अध्यक्षीय मंडल ढाई साल बाद फिर से सक्रिय हो गया है। मंगलवार को मंडल की बैठक में सातवां वेतनमान मांगने पर सहमति बनी, जबकि मप्र अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त मोर्चा अपनी बात पर अड़ा है। मोर्चा का कहना है कि छठवें वेतनमान कीmp_government_employee_23_11_2016 विसंगति दूर किए बगैर सातवां स्वीकार नहीं है।

केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों को जुलाई में सातवां वेतनमान दे चुकी है और राज्य सरकार अब तक निर्णय नहीं ले पाई है। सरकार ने पहले दशहरा और फिर दीपावली पर सातवां वेतनमान देने का इशारा किया था, लेकिन हाल ही में खराब आर्थिक स्थिति बताकर वेतनमान देने से पल्ला झाड़ लिया।

मंडल की बैठक चार को

कर्मचारी अब अध्यक्षीय मंडल को सक्रिय कर आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। मंडल की बैठक में शामिल कर्मचारियों ने ट्रेड यूनियन के नियमों का हवाला देते हुए एक मत से कहा कि पहले वेतनमान लेंगे और बाद में विसंगतियां दूर कराएंगे।

मंडल के अध्यक्ष सुधीर नायक ने बताया कि 4 दिसंबर को अगली बैठक होगी। जिसमें आंदोलन की रणनीति तय की जाएगी। मंडल में राजपत्रित अधिकारी संघ, तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ, निगम-मंडल कर्मचारी महासंघ, विधानसभा, न्यायिक कर्मचारी, कर्मचारी मंच, बहुउद्देश्यीय कार्यकर्ता सहित दो दर्जन से ज्यादा संगठन शामिल होने का दावा किया जा रहा है।

मोर्चा वेतनमान लेने को तैयार नहीं

संयुक्त मोर्चा अब भी विसंगति दूर किए बगैर सातवां वेतनमान लेने को राजी नहीं है। मोर्चा के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह कहते हैं कि विसंगति दूर किए बगैर सातवां वेतनमान ले लिया, तो कर्मचारियों को भारी नुकसान होगा। फिर सरकार कब विसंगति दूर करेगी और कब से विसंगति रहित वेतन मिलेगा कहना संभव नहीं है।

वे कहते हैं कि हम अपनी बात पर अडिग हैं। अध्यक्षीय मंडल के निर्णय पर जितेंद्र कहते हैं कि ये सरकार की चाल है। वह सातवां वेतनमान का लालच देकर कर्मचारियों को विसंगति की बात से भटका रही है।

विशेषज्ञ कमेटी बनाई

अलग-अलग संवर्ग के कर्मचारियों के वेतनमान और सेवा में विसंगति की एकजाई रिपोर्ट तैयार करने अध्यक्षीय मंडल ने तीन सदस्यीय विशेषज्ञ कमेटी बना दी है। इस कमेटी में कर्मचारी नेता चंद्रशेखर परसाई, लक्ष्मीनारायण शर्मा और विजय मिश्रा को रखा है।

 

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