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सरकार की लापरवाही से 20 मार्च को आया सुप्रीम कोर्ट का फैसला देश के दबे कुचले वर्ग के लिए घातक-चन्दन लाल वाल्मीकि

देव श्रीवास्तव
लखीमपुर खीरी।
महादलित परिसंघ द्वारा आयोजित ने डाक्टर अम्बेडकर पार्क कचैहरी रोड पर 20 मार्च के सुप्रीम कोर्ट के फैसल पर पुनर्विचार याचिका भारत सरकार दाखिल करने की मांग को लेकर धरना देकर रोष व्याप्त कर महामहिम राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री को सम्बोधित ज्ञापन जिला अधिकारी को दिया गया। धरने को सम्बोधित करते हुए चन्दन लाल वाल्मीकि ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की केन्द्र सरकार की गैर जिम्मेदारानां सुप्रीम कोर्ट में पैरवी के कारण 20 मार्च का सुप्रीम कोर्ट का फैसला देश के दबे कुचले वंचित दलित महादलितों के लिए घातक है। 
  • वाल्मीकि ने कहा कि माननीय उच्च न्यायलय मुम्बई हाई कोर्ट के आदेश के संबंध में यह निर्णय कि एस0सी0/एस0टी0 एक्ट निर्देश नागरिकों और सरकारी कर्मचारी को ब्लैकमेल करने के लिए इस्तमाल किया जा रहा है। 
  • माननीय न्यायलय द्वारा नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो 2015 के आंकडों पर धारणा बनाई गई है। इस रिपोर्ट के अनुसार 15-16 प्रतिशत पी0ओ0 एक्ट में क्लोज रिपोर्ट फाइनल हुई और 75 प्रतिशत से अधिक मामलों में सुलह या शिकायत वापस लेने के कारण आरोपी दोष मुक्त हुए है।
  • वाल्मीकि ने यह भी कहा कि माननीय उच्च न्यायलय में संसद की स्टैण्डिंग कमेटी को भी उद्ध्रत किया जिसमें कहा गया कि निर्दाेष नागरिकों को झूठे दोषारोपण में अकारण गिरफ्तारी से बचाने के लिए गिरफ्तारी से पूर्व अनुमति के प्रावधानों का न होने गिरफ्तारी के कानून के संबंध में न्यायलय द्वारा परिभाषित संवैधानिक गारण्टी के विपरीत है। संविधान के अनुच्छेद 7 मूल अधिकार है तथा अनुच्छेद 35 द्वारा राज्य पर उक्त मूल अधिकरों केे सम्बंध में कानून बनने का राज्य पर कर्तव्य है। इसी कारण पी0ओ0ए0 एक्ट उक्त अनुच्छेदों के अधीन है।
  • संचालन करते हुए श्याम किशोर बेचैन प्रदेश अध्यक्ष कला साहित्य प्रकोष्ठ महादलित परिसंघ ने कहा कि 20 मार्च का सुप्रीम कोर्ट का निर्णय अनुसूचित जाति जनजाति के लोगों के लिए अधिनियम  के कठोर प्राविधानों का प्रभाव कम करके लगभाग निष्प्रभावी कर देगा। यही नहीं यह निर्णय शोषण कर्ताओं अनुसूचित जाति जन जाति पर अत्याचार का लाइसेन्स बन जायेगा|
  • ब्रहम शरण वाल्मीकि संत ने कहा कि कानून का दुरूपयोग कानून को अवैध नहीं बनाता कानून का दुरूपयोग या दुष्प्रयोग अपवाद है नियम नहीं अपवादों को नियंत्रित करने के लिए अनेक वैकल्पिक राहत मौजूद हैं।
  • अमीचन्द धर्मेष ने कहा कि  जनपद खीरी में आज भी कानून के बावजूद दलितों से जबरन मैला उठवाना, सिसोरा नासिर, इब्राहीमपुर, बनकागांव, किरयारा, किरयारी, मछेचा, मोहम्मदपुर, बरैंचा, गोकन, बरबर, पसगवां, बठैय्या, नयागांव, नयागांव जाट, कलुआ मोती, ककराह, मगरैना गाॅव में आज भी बाल न काटना, शादी विवाहांे में टेण्ट का सामान वाल्मीकियों को न देना, वाल्मीकियों की सुआगाडा स्थिति शमशान भूमि पर कब्जा कर लेना, मजदूर को कम मजदूरी देना जैसी घटनाओं को और बढावा मिलेगा।
  • कुॅवर आयुष्मान ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय एससी एसटी पर न्याय पालिका और कार्य पालिका के प्रति अच्छा सन्देश नहीं देगा साथ ही यह निर्णय एससी एसटी के पीडितों शोषण के खिलाफ लडने के नैतिक साहस और योग्यता तथा क्षमता को प्रभावित करेगा।
  • महादलित परिसंघ यह मानता है कि भारत सरकार सुप्रीम कोर्ट में लचर पैरवी के कारण आज देश अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग अपनी सुरक्षा के लिए हताश और दुखी है।
  • महादलित परिसंघ यह मांग करता है कि भारत सरकार 20 मार्च के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में पुनर्विचार याचिका दाखिल करे और संसद में दलित की सुरक्षा के लिए कठोर और प्रभावी कानून बनाए।
  • ज्ञापन में बबन रावत राष्ट्रीय अध्यक्ष, उमेश पिम्परे राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, चन्दन लाल वाल्मीकि के हस्ताक्षर सहित    राजेश वाल्मीकि, अशोक वाल्मीकि, अमित वाल्मीकि, हेमकरन, हेमा वाल्मीकि, प्रवेश वाल्मीकि, कुॅवर आयष्मान, हिमांशू वाल्मीकि, भारत धानुक शाहिल धानुक, राज कुमार गौतम, अमन, विकास, राहुल वाल्मीकि, राजेश उर्फ तिवारी, अनुराग भारती, शिवा भारती, वीरेन्द्र भारती,  शामिल रहे।