पिछले महीने वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलय की दिशा में सक्रियता से काम कर रही है। हालांकि उन्होंने इसका ब्योरा देने से इनकार करते हुए कहा था कि यह संवेदनशील सूचना है। दरअसल, एसबीआई के सफल विलय से उत्साहित वित्त मंत्रालय इस वित्त वर्ष के अंत तक सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकिंग में ऐसे अन्य प्रस्ताव को मंजूरी देने पर गौर कर रहा है।
उम्मीद है कि तब तक फंसे हुए कर्ज की स्थिति काबू में आ जाएगी। रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर सी रंगराजन ने कहा, इस प्रणाली में कुछ बड़े, कुछ छोटे और स्थानीय बैंक होंगे। इसमें विविधता की जरूरत होगी।
एक अप्रैल, 2017 को सरकार ने एसबीआई में उसके पांच सहयोगी बैंकों और भारतीय महिला बैंक का विलय किया था। इसके बाद से स्टेट बैंक देश का सबसे बड़े और दुनिया के शीर्ष 50 बैंकों जगह बनाने में कामयाब रहा है।
महिला बैंक के अलावा स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला और स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर का एसबीआई में विलय हो गया था। इस विलय के बाद एसबीआई की कुल ग्राहक संख्या करीब 37 करोड़, ब्रांच नेटवर्क 24,000 और एटीएम की संख्या 59,000 पहुंच गई थी।