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समिति सचिव ने पांच वर्षों में किया इक्यावन लाख का गबन

देव श्रीवास्तव/मोहम्मदी-खीरी। 

स्थानीय सहकारी गन्ना विकास समिति के सचिव एवं दो कर्मचारियो ने पांच वर्षो में 51 लाख रूपयों का गबन कर लिया। जिसका खुलासा काफी देर से तब हुआ जब सचिव आदि का स्थानान्तरण यहां से हो गया। खुलासा होने पर जब जांच हुई तो इन दोषी कर्मचारियो की गबन की गयी राशि को जमा करने का मौका दिया गया लेकिन आरोपियों ने राशि जमा नहीं की तो मौजूदा सचिव ने दोषियों के विरूद्घ कोतवाली मोहम्मदी में मुकदमा दर्ज कराया है। सूत्रों की माने तो इस गबन में कुछ लोगों को राजनीतिक दबाव के चलते छोड़ दिया गया है। अगर पुलिस विवेचना अधिकारी बिना दवाब के निष्पक्ष जांच करते है तो कुछ जनप्रतिनिधि भी इस गबन की आग की लपेट में आ सकते हैं।
स्थानीय सहकारी गन्ना समिति में वर्ष 2007-08 से 2011-12 तक यहां तैनात रहे सचिव कमलेश कुमार वर्मा ने उस समय कार्यरत गन्ना पर्यवेक्षक/गोदाम प्रभारी विद्याशंकर वर्मा तथा गोदाम प्रभारी शिवरतन लाल वर्मा ने मिलकर खाद एवं कीटनाशक दवाआे के फर्जी खरीद बाऊचर व कागज तैयार कराकर खरीद दिखाई और फिर खाद व कीटनाशक की नियमानुसार फर्जी बिक्री दिखाकर समिति को 51 लाख दस हजार 964 रूपयो का चोरी और चुपके से चूना लगा दिया। गबन का ये खेल वर्ष 2007-08 से वर्ष 2012 तक चलता रहा खाद आती। जिसे कभी रात के अंधेरे में बेच देते तो कभी ट्रको समिति तक आने ही नही दिया जाता और पूरे-पूरे ट्रक बाहर ही काला बाजार में बेच दिये जाते थे। कहावत है कि गुनाहो का ज्वालामुखी अधिक समय तक नही रूकता एक न एक दिन फटता ही है वही हुआ और मामला गन्ना आयुक्त लखनऊ तक जा पहुंचा तो उन्होने उपगन्ना आयुक्त की अध्यक्षता में एक टीम बनाकर इस गबन की जांच करायी। दो माह तक चली जांच में गबन की परते खुलने लगी। जांच में पांच लोग दोषी बनकर सामने आये। अधिकारियो ने पहले इन पांचो को सारी गबन की गयी राशि जमा करने की मोहलत दी कि अगर सारी रकम जमा कर दी जाती है तो मामले को यही दबा दिया जायेगा अन्यथा मुकदमा दर्ज कराया जायेगा।
दो कर्मचारियों ने इस छूट का लाभ उठाते हुए छ: लाख रूपया समिति में जमा कर अपने को सुरक्षित कर लिया। इन्हें दर्ज कराये गए मुकदमें से मुक्ति मिल गयी। वहीं इस गबन के मुख्य सरगना सचिव कमलेश कुमार वर्मा ने न तो गबन की राशि ही जमा की और न जांच टीम के बार-बार बुलाने पर आये बल्कि उल्टे दबगई ही दिखाते रहे। सूत्रांे की मानें तो इन दोषियो को सपा के कुछ कददावर नेताआे का वर्दहस्त प्राप्त था। जिस कारण वह जांच टीम के सामने नहीं आये। सूत्रो की माने तो इस पूरे गबन में समिति से जुड़े एक जनप्रतिनिधि का भी नाम आया था। उस समय वो सपा कके नेता थे आज वो भाजपा के नेता है। इस राजनीतिक दवाब के चलते उनका नाम भी प्रकाश में आने के बाद दबा दिया गया। जांच टीम की विस्तृत रिपोर्ट के उपरांत जिला गन्ना अधिकारी ने मौजूद सचिव राजीव कुमार सिंह को कोतवाली में एकआईआर दर्ज कराने का आदेश किया। जिस पर सचिव श्री सिंह ने दबंग दोषी निवर्तमान सचिव कमलेश कुमार वर्मा व उसके सहयोग गन्ना पर्यवेक्षक शिवरतन लाल वर्मा व विद्याशंकर के विरूद्घ मुकदमा दर्ज किये जाने को कोतवाली में तहरीर दी। जिस पर कोतवाली पुलिस ने धारा 409, 419, 420, 467, 468 तथा 471 के अन्तर्गत मुकदमा दर्ज कर लिया। इस गबन की विवेचना अतिरिक्त इंस्पेक्टर मो. इरशाद त्यागी को दी गयी है। विवेचक श्री त्यागी ने अगर इस 51 लाख गबन की निष्पक्ष व राजनीतिक दवाब से मुक्त होकर जांच की तो उक्त नामजद लोगों के अलावा कई अन्य सफेदपोश तथा कुछ कर्मचारियों के चेहरे भी बेनकाब होकर सामने आयेंगे।